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भारत के 12 अर्क (सूर्य मंदिर)और सूर्य पूजा : छठ विशेष भाग -2

by bnnbharat.com
November 9, 2021
in क्या आप जानते हैं ?, वैदिक भारत, सनातन-धर्म, संस्कृति और विरासत
भारत के 12 अर्क (सूर्य मंदिर)और सूर्य पूजा : छठ विशेष भाग -2
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सूर्य उपासना का महापर्व हैं- छठ पूजा. यह त्यौहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है.

चूकि भारत में सूर्य और कार्तिकेय की पूजा को कुषाणों ने लोकप्रिय बनाया था, इसलिए इस दिन का ऐतिहासिक सम्बन्ध कुषाणों से हो सकता है.

कुषाण और उनका नेता कनिष्क (78-101 ई.) सूर्य के उपासक थे. इतिहासकार डी. आर. भंडारकार के अनुसार कुषाणों ने ही मुल्तान स्थित पहले सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था. भारत में सूर्य देव की पहली मूर्तिया कुषाण काल में निर्मित हुई हैं. पहली बार कनिष्क ने ही सूर्यदेव का मीरो ‘मिहिर’ के नाम से सोने के सिक्को पर अंकन कराया था. अग्नि और सूर्य पूजा के विशेषज्ञ माने जाने वाले शाक्य द्वीप (ईरान) के मग पुरोहित कुषाणों के समय भारत आये थे. यही आगे चलकर शाक्दीपी ब्राह्मण कहलाए.

एक लोकमान्यता है कि जरासंध के एक पूर्वज को कोढ़ हो गया था, तब शाक्यद्वीप से मगो को मगध बुलाया गया. मगो ने सूर्य उपासना कर जरासंध के पूर्वज को कोढ़ से मुक्ति दिलाई, तभी से बिहार में सूर्य उपासना आरम्भ हुई.
एक मान्यता के अनुसार गयासुर के अंत के लिए एक यज्ञ का आयोजन हुआ था जिसमे मग पुरोहितों को ‘गया ‘ बुलाया गया था और इन्ही लोगों ने मगध मे छठ की शुरुआत की.
एक अन्य मान्यता के अनुसार कृष्ण पुत्र सांब शाप के कारण कुष्ठ रोग से ग्रसित हो गये थे सूर्य को प्रसन्न करने के लिए उन्होंने 12 अर्क यानी 12 सूर्य मंदिरो़ का निर्माण शाक्यद्वीपी मग पुरोहितों के मदद से करवाया.

देव मन्दिर औरंगाबाद बिहार


इन 12 सूर्य मंदिरो में,

देवार्क (देव, बिहार),

कोणार्क (ओडिशा),

उलार्क(पटना बिहार),

पूण्यार्क (पंडारक बिहार),

औंगार्क (उंगारी बिहार),

लोलार्क(बनारस),

बालार्क (बड़गांव नालंदा),

मोढेरार्क (गुजरात),

मार्कंडेयार्क (कंदाहा बिहार),

कटलार्क (उत्तरांचल),

चानार्क (चंद्रप्रभा नदी किनारे),

आदित्यार्क (पाक) हैं।
इनमें मगध के देव का छठ काफी प्रसिद्ध है मान्यता है कि इसी स्थान से छठ की शुरुआत हुई.

देव मंदिर औरंगाबाद बिहार

भारत में कार्तिकेय की पूजा को भी कुषाणों ने ही शुरू किया था और उन्होंने भारत में अनेक कुमारस्थानो (कार्तिकेय के मंदिरों) का निर्माण कराया था. कुषाण सम्राट हुविष्क को उसके कुछ सिक्को पर महासेन ‘कार्तिकेय’ के रूप में चित्रित किया गया हैं. संभवतः हुविष्क को महासेन के नाम से भी जाना जाता था. मान्यताओ के अनुसार कार्तिकेय भगवान शिव और पार्वती के छोटे पुत्र हैं. उनके छह मुख हैं. वे देवताओ के सेना ‘देवसेना’ के अधिपति हैं. इसी कारण उनकी पत्नी षष्ठी को देवसेना भी कहते हैं. षष्ठी देवी प्रकृति का छठा अंश मानी जाती हैं और वे सप्त मातृकाओ में प्रमुख हैं. यह देवी समस्त लोको के बच्चो की रक्षिका और आयु बढाने वाली हैं. इसलिए पुत्र प्राप्ति और उनकी लंबी आयु के लिए देवसेना(छठ) की पूजा की जाती हैं.

अशोक दुबे

मगध से छठ की शुरुआत : छठ विशेष भाग -1

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