नई दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जी-23 के नेताओं पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि मैं हमेशा से पार्टी में लोकतंत्र और सांगठनिक चुनावों के पक्ष में रहा हूं. लेकिन, मेरी पार्टी के लोगों ने ही मेरी आलोचना की. प्रतिष्ठित कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के एक वर्चुअल कार्यक्रम में प्रोफेसर कौशिक बसु के साथ लोकतंत्र और विकास के विषयों पर बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी आपातकाल लगाए जाने के साथ मौजूदा राजनीतिक हालात पर भी अपने विचार रखें. इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाने जाने के सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि वो गलती थी, लेकिन तब जो हुआ और आज जो हो रहा है. उसमें फर्क है और अपनी गलती मान लेना साहस का काम होता है.
राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कभी भी देश के संवैधानिक ढांचे पर कब्जा करने की कोशिश नहीं की. हमारा लोकतांत्रिक ढांचा ऐसा करने की इजाजत नहीं देता है, अगर हम करना भी चाहें तो नहीं कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इसे अलग तरीके से अंजाम दे रहा है. वे लोग संवैधानिक संस्थाओं को अपने लोगों से भर रहे हैं. अगर चुनाव में हम बीजेपी को हरा भी दें तो संस्थानिक ढांचे में बैठे उनके लोगों को नहीं हटा सकते.
कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी चुनावों की मांग पर राहुल गांधी ने कहा कि मैं कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी लोकतंत्र को बढ़ावा देने की बात कई सालों से कर रहा हूं और इसके लिए मेरी ही पार्टी के लोगों ने मेरी आलोचना की थी. उन्होंने कहा, मैंने अपनी पार्टी के लोगों से कहा कि कांग्रेस में अंदरूनी लोकतंत्र लाना निश्चित तौर पर जरूरी है. आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं इसलिए प्रभावी हैं, क्योंकि उनके पास स्वतंत्र संस्थाएं हैं, लेकिन भारत में उस स्वतंत्रता पर हमला किया जा रहा है.
मौजूदा राजनीतिक हालात पर बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा कि न्यायपालिका से उम्मीद नहीं है. संसद में बोलने की अनुमति नहीं है. आरएसएस और बीजेपी के पास बेतहाशा पैसा है. व्यवसायों को विपक्ष के पक्ष में खड़े होने की इजाजत नहीं है. लोकतांत्रिक अवधारणा पर ये सोचा समझा हमला है.