रांची : झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में जुगाड़ सिस्टम से अपने कई विभागों की मान्यता बचाने की कोशिश कर रहा है. इसी प्रयास में रिम्स प्रबंधन ने आदेश निकालकर 6 सुपर स्पेशियलिटी विभागों के विभागाध्यक्ष को मेडिसिन, सर्जरी और शिशु रोग डिपार्टमेंट में प्रोफेसर को बना दिया है.
नेशनल मेडिकल कमीशन की अधिसूचना संख्या NMC/MCI-35(1 )/98-MED(i) 123627 की अनुसूची -11(ख) की कंडिका 2 में स्पष्ट है कि स्किन, दांत और मनोविज्ञान विभाग को छोड़कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्रत्येक विभाग में एक पूर्णकालिक प्रोफेसर होगा जो विभाग का हेड होगा और विभाग की सभी जवाबदेही उसकी होंगी.
प्रोफेसर की कमी के चलते रिम्स के कॉर्डियोथोरेसिक सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, नेफ्रोलॉजी और न्योनेटोलॉजी में सहायक प्राध्यापक (अस्सिटेंट प्रोफेसर) ही विभागाध्यक्ष बने हुए थे
स्थायी प्रोफेसर की नियुक्ति की जगह रिम्स प्रबंधन ने सामान्य विभाग के प्रोफेसर रैंक के डॉक्टर को ही सुपर स्पेशलिटी विभाग का हेड बना दिया है. डॉ आर जी बाखला को कॉर्डियोथोरेसिक सर्जरी का हेड बनाया गया है तो सर्जन डॉ आरएस शर्मा को प्लास्टिक सर्जरी विभाग की जिम्मेदारी दी गई है. इसी तरह सर्जन डॉ. विनोद कुमार को सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, डॉ सतेंद्र कुमार को मेडिकल ऑन्कोलॉजी, मेडिसिन के डॉ. उमेश प्रसाद को नेफ्रोलॉजी विभाग का और डॉ मिनी रानी अखौरी को न्योनेटोलॉजी विभाग का प्रभारी HOD बनाया गया है.