रांची: राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि अब झारखंड राज्य में कोविड 19 की प्राइवेट लैब की जांच में भारी लूट का मामला मीडिया की सुर्खियों बनी हुई है.
कर्नाटक एवं दूसरे राज्यों के बाद पड़ोसी राज्य बिहार में भी झारखंड से लगभग आधी दर पर हो रही जांच से सरकार की भूमिका का कटघरे में खड़ा होना लाजिमी है. जिन कम्पनियों के लैब दूसरे राज्यों में 2500 रूपये में जांच कर रहे हैं.
वहीं लोग झारखंड में 4500 रूपये ले रहे हैं, क्योंकि झारखंड सरकार ने उनके लिये यह दर तय किया है. अब तो गठबंधन सरकार की अगुवाई कर रही जेएमएम भी कारवाई की मांग कर रही है.
अब झामुमो की अंतरात्मा ही जाने यह आईवास है या वास्तव में उसे राज्य की जनता की फिक्र है. उनके द्वारा राज्य सरकार को लिखे जा रहे सुझाव-पत्रों को लेकर सरकार और उनके दल के द्वारा मुझे कई उपाधि से नवाजा जा रहा है.
बेशक, जो मर्जी हो आप करें, परन्तु अफसोस इस बात का है कि मेरे द्वारा जांच शुरू होने से पहले 4 मई को लिखे गए उस पत्र के सुझाव पर अमल कर लिया गया होता तो सरकार की इस कदर किरकिरी नहीं होती और जनता की जेब भी नहीं कटती.
मुझ पर जो व्यक्तिगत शब्दों के तीर आप चलाएंगे, हमको तनिक भी दुःख नहीं होगा. परन्तु जनता को आप बेवजह तकलीफ दें, यह मुनासिब नहीं है. अब तो सरकार और उनके लोगों की कार्यशैली देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जांच दर में 4500 से 2500 के बीच का जो मामला है, जो वह बानगी भर है.
कोविड-19 में सरकार द्वारा चल रहे सभी कार्यों में 4500 और 2500 की भांति ही सारा खेल फंसा हुआ है. मुख्यमंत्री को पूर्व में भी 7 मई को दूसरे राज्यों के मुकाबले झारखंड के निजी लैबों में कोविड-19 की जांच दर अधिक होने का मामला आपके संज्ञान में लाया था.