मिर्जापुर: लॉकडाउन की अर्धशतकीय साझेदारी के साथ मुख्यालय के भी अनेक खबरनवीस कोरोना-मैच में नाट-आउट हुए 51 दिनों से झूम के डटे हुए हैं. इनमें प्रिंट/ इलेक्ट्रॉनिक/सोशल मीडिया में कोरोना की हर चाल को मात देने की प्रशासनिक, सामाजिक रिपोर्टों से अवगत कराने में बॉर्डर के सैनिक के रूप में खबरची लगे दिखे. इसमें जिले से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक सक्रियता देखी गई.
प्रिंट मीडिया से जयेंद्र चतुर्वेदी, मनोज शुक्ला, शशि गुप्ता, वीरेंद्र दुबे, प्रभात मिश्र, अशोक मिश्र, संजय दुबे, देव गुप्ता, अनुपम श्रीवास्तव, अभय मिश्र, नीरज पांडे, ओमशंकर गिरि, संतोष कुमार श्रीवास्तव, आशीष त्रिपाठी,रोमेश रंजन दूबे शिवशंकर उपाध्याय, राकेश द्विवेदी, राजकुमार उपाध्याय, समर शर्मा, सन्दर्भ पांडेय, कृष्णा सिंह, बालाजी, नितिन अवस्थी, सुशील पटेल, महेश रावत, कमलेश शरण, मनोज द्विवेदी, अनुराग द्विवेदी, मंगलापति द्विवेदी, अशोक शुक्ल, आदि महामारी पर पैनी नज़र बनाए दिखे जबकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से डॉ राजेश मिश्र, नीरज सिंह, सुरेश सिंह, जेपी पटेल, राजन गुप्ता, सुमित गर्ग, अनुज श्रीवास्तव, आकाश दुबे, पवन तिवारी, मेराज खान, शिव तिवारी, इंद्रेश पांडेय, आफताब, मनीष रावत,अजय दुबे, राजू महामारी का पीछा करते हुए गली-गली चक्कर लगाने में पीछे नहीं रहे. सभी को फोटो उपलब्ध कराने में इमरान का कोई मुकाबला नहीं था.
सोशल मीडिया पर हर खबर को सबसे पहले लेकर उतरने वालों में शशि भूषण दूबे कंचनीय, श्रीश श्रीवास्तव, शिव शुक्ल, इंदरप्रीत सिंह ‘लकी’, मुकेश पाण्डेय, दीपचंद, वृजेश, तौसीफ, गुड्डू खान के साथ गाजीपुर के रवींद्र सिंह, रायबरेली के शिवकांत अवस्थी तथा मुंबई के श्रीयम न्यूज नेटवर्क ने अपने दायरे में मिर्जापुर को भी समाए रखा.
विंध्याचल से महेंद्र पांडेय, आनन्द मोहन मिश्र, रामलाल साहनी, वतन शुक्ल, हेमंत , भास्कर भट्ट, रिंकू, हनी मिश्र, प्यारे मोहन त्रिपाठी, विजय जायसवाल, अवनीश मिश्र, रामानन्द तिवारी जहां सक्रिय दिखे वहीं ग्रामीण अंचलों से सरदार रणवीर सिंह, राजेन्द्र मिश्र, प्रदीप शुक्ल, महेंद्र नाथ सिंह, हौसिला त्रिपाठी, पवन जायसवाल (सभी चुनार तहसील), राजगढ़ से रवींद्र सिंह, रघुवर मौर्य, छानबे से सुभाष ओझा, पड़री से विजय प्रताप सिंह, मझवां से शीतलेश्वर पाठक आदि के अलावा अनेक युवा पत्रकार एलर्ट-मोड में दिखे.
जनता और प्रशासन को मिला सहयोग
पत्रकारों की इस सक्रियता से सभी को सहयोग मिला. सरकारी सेवक जहां शासकीय दायित्वों से बंधे थे और ड्यूटी कर रहे थे, वहीं पत्रकार कबीर के जो घर फूंको आपनो चलो हमारे साथ के जज्बे के साथ मत चूको चौहान का राग अलापते दिखे.