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इलाज के अभाव में हुई मौत
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अनाथ हो गई तीन बेटियां ममता, सुनीता, सुषमा
रांची: गरीबी और पैसे की तंगी से हार गई जिंदगी, बेबस तीन बच्चियों के सर से उठ गया मां का साया. तीन बच्चियों की मां बिंदिया देवी (35वर्ष) की मौत सरकारी सहायता के अभाव में हो गया.
अनाथ हो गए तीन बच्चियां, आखिर इसका जिम्मेदार कौन. एक बड़ा सवाल- विचलित कर रहा है कि आखिर इस बेबस महिला का इलाज समय पर क्यों नहीं हो सका, क्या सरकारी तंत्र गरीबों के प्रति संवेदनशील नहीं बनती है. क्यों जिम्मेदार लोग अपने जिम्मेवारियों से भागते नजर आते है.
नहीं मिला सरकारी सहायता:
बिंदिया देवी (35वर्ष) की मौत का जिम्मेदार सरकारी तंत्र है. समय पर अगर बिंदिया देवी को अस्पताल में भर्ती कराया जाता तो बच सकती थी उसकी जान, उचित इलाज के अभाव में चली गयी बिंदिया देवी की जान.
ज्ञात हो कि बिंदिया देवी बुढ़मू प्रखंड क्षेत्र के ओझासाड़म पंचायत अंतर्गत तारे महुवा गांव की रहने वाली थी, जो अपने पति अगनु गंझू के साथ मजदूरी का काम करती थी, कोरोना बन्दी के पूर्व बिंदिया अपने पति के साथ ठाकुरगांव में एक ईंट भट्ठे में काम करती थी.
बता दें कि वह गर्भवती थी और भट्टा में कार्य करने के दौरान ही बिंदिया देवी की डिलिवरी हुई थी, जिसमें उसके बच्चे की मृत्यु हो गई. इस दौरान भी बिंदिया देवी का समुचित इलाज नहीं हो सका. इसका प्रमुख कारण लॉकडाउन से उत्पन्न स्थिति थी.
स्थिति बिगड़ता देख उसके पति अगनु गंझू उसे घर ले आया व महिला की स्थिति काफी दयनीय थी, परिजनों द्वारा उसे लेकर 21 मई को बुढ़मू सीएचसी इलाज हेतु लाया गया था, परंतु डॉक्टरों ने उसे दवा दे दिया और घर भेज दिया, जबकि उसकी उचित इलाज कराया जाना था.
यहां डॉक्टरों की लापरवाही सामने आ रही है. अगर बुढ़मू सीएचसी में उचित इलाज संभव नहीं था तो रिम्स रेफर कर देना चाहिए था. महिला की जान तो बच जाती. दूसरी ओर मामले पर सीएचसी प्रभारी डॉक्टर संतोष कुमार का कहना है कि 21 मई को बुढ़मू सीएचसी में समुचित इलाज किया गया था.
इस दौरान समाजसेवी गौतम यादव द्वारा एम्बुलेंस व्यवस्था करने और रिम्स पहुंचाने का भरसक प्रयास किया गया, परन्तु ना ही एम्बुलेंस की व्यवस्था हो पाई और ना ही इलाज हो सका और चली गयी एक गरीब महिला का जान.
खाने के लाले पड़े है घर में,बन्दी के कारण रोजगार नहीं
अपना घर नहीं है, स्थिति काफी दयनीय है. तीन बच्चों सहित पांच परिवार के साथ किसी प्रकार लॉकडाउन का पालन करते करते अपनी जान गवां बैठी बिंदिया देवी.
समाजसेवी गौतम यादव द्वारा लगातार मदद की गयी, अंतिम संस्कार का पैसा नहीं था, परंतु गौतम यादव व प्रकाश यादव द्वारा सहयोग किया गया. सूचना पर प्रखंड मुख्यालय बुढ़मू से पहुंचे अंचलाधिकारी मधुश्री मिश्रा ने तत्काल 1000 एवं 10 किलो चावल दिया.
बताया गया कि परिवार में ना ही आधार कार्ड और ना ही राशन कार्ड है. यहां तक कि रहने के लिए अपना घर भी नहीं है, और ना ही पीने की स्वच्छ पानी की व्यवस्था है.
पानी के लिए चुवां पर आश्रित है, सूचना मिलते ही पहुंची जिला उपाध्यक्ष पार्वती देवी ने कहा कि इलाज के अभाव में मौत हुई है तो इसकी जांच होनी चाहिए.
पार्वती देवी पहुंची व परिजनों को सांत्वना देते हुए कहा कि हम सभी आपके साथ है. क्रिया क्रम हेतु आश्रित परिवार को एक क्विंटल चावल देते हुए, हरसंभव मदद की बात कहीं.
प्रखंड विकास पदाधिकारी संजीव कुमार ने कहा कि परिवार को सहायता उपलब्ध करायी जा रही है, आगे भी हो सरकारी सहायता होगी, वह मिलेगी.
वहीं अंचलाधिकारी मधुश्री मिश्रा ने कहा कि उन्हें एक घण्टे पहले ही उसकी वास्तविक स्थिति की जानकारी मिली थी. वह सीएचसी प्रभारी के साथ बात कर एम्बुलेंस व्यवस्था के माध्यम से सदर भेजवाने के लिए तैयारी कर ही रही थी कि उनकी मौत की सूचना आई, जो काफी दुःखद है. अगर सूचना दो दिन पहले मिल जाती तो वह समय रहते इलाज हेतु समुचित व्यवस्था करा देती.