नई दिल्ली: कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के दुर्दशा पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों से कोई बस या ट्रेन का किराया नहीं लिया जाएगा.
उन्हें राज्य द्वारा भोजन प्रदान किया जाना चाहिए. ट्रेनों में रेलवे द्वारा भोजन और पानी उपलब्ध कराया जाना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि पैदल घर जा रहे प्रवासी श्रमिकों को तुरंत आश्रय स्थलों पर ले जाया जाए और भोजन और सभी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाएं.
कोर्ट ने कहा कि वह अपने मूल स्थान पर पहुंचने के लिए प्रवासियों की कठिनाइयों से चिंतित हैं. उसने पंजीकरण, परिवहन और भोजन और पानी के प्रावधान की प्रक्रिया में कई खामियां पाई हैं.
इससे पहले केंद्र ने बताया कि अब तक 91 लाख प्रवासियों को उनके गंत्यव्य स्थान पहुंचा दिया गया है. केंद्र की ओर केर्ट में पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 80 फीसद प्रवासी उत्तर प्रदेश और बिहार से हैं.
गौरतलब है कि प्रवासी मजदूरों के दुर्दशा के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे इन कामगारों की दयनीय स्थिति पर मंगलवार को केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया था.
कोर्ट ने इन्हें 28 मई यानी आज जवाब देने के लिए आदेश जारी किया था. अदालत ने मामले पर सॉलिसिटर जनरल की सहायता भी मांगी थी.