बिहार : गंगा दशहरा के दिन मुंगेर के घाटों पर सैकड़ों लोगों की भीड़ देखने को मिली. भारी संख्या में महिलाओं ने डुबकी लगाकर देशवासियों की सलामती की कामना की. इस साल कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने पर्व-त्योहारों के रंगो को फीका कर दिया है. इसके बावजूद लोगों की आस्था में कमी नहीं दिख रही है. सोमवार को गंगा दशहरा का पर्व मुंगेर में जोश और उत्साह के साथ मनाया गया. इस दौरान मुंगेर के कई घाटों पर भारी संख्या में लोगों की भीड़ देखने को मिली.
डुबकी लगाकर पूजा-अर्चना कर रहे श्रद्धालुओं ने कहा कि उन्होंने ईश्वर से कोरोना मुक्त संसार की प्रार्थना की है. उन्होंने विश्वास जताया कि भगवान जल्द से जल्द देशवासियों को इस महामारी से निजात दिलाएंगे. इस दिन जिले के बबुआ घाट, लाल दरवाजा घाट, सोझी घाट और कस्टहरनी घाट में श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आई.
क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा
गंगा दशहरा का पर्व मनाने के पीछे यह मान्यता है कि इस दिन राजा भगीरथ की तपस्या के बाद जेष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को ही मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी. तब से इस दिन को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है. घाटों पर स्नान के बाद श्रद्धालु गंगा घाट पर ही मां गंगा को फूल-प्रसाद चढ़ाकर पूजा करते हैं.
घाट पर पूजा करते श्रद्धालु व पुजारी ने बताया कि गंगा दशहरा से अच्छा कोई दिन नहीं है इस दिन गरीब ब्राह्मण को दान करना चाहिए. इस दिन गंगा स्नान करने से 100 यज्ञ का बराबर का पुण्य प्राप्त होता है. दान करने से 10 गुना धन की वृद्धि होती है. मटका पंखा खरबूज आम और चीनी आदि सामानों के दान की मान्यता है.