रांची: प्राइवेट स्कूल एण्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर ऐसोशिएशन के चेयरमैन आलोक कुमार दूबे एवं महासचिव लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि निजी स्कूल प्रबंधन पर ट्यूशन शुल्क नहीं लिये जाने का दबाव बनाया जाना पूरी तरह से अनुचित है. राज्य में सरकारी स्कूलों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में निजी स्कूलों के माध्यम से ही विद्यार्थियों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है. उन्होंने कहा कि झारखंड में करीब 20 हजार निजी स्कूल संचालित है और इनमें लगभग पांच लाख शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मी कार्यरत है,ऐसे में ट्यूशन शुल्क नहीं लेने का एकतरफा दबाव बनाये जाने से इन शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मियों के समक्ष संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. यह अभिभावक, शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच का मामला है, इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि एक ओर कोरोना संकट में बेरोजगार हुए लाखों प्रवासी श्रमिक घर वापस लौट रहे है जिन्हें राज्य सरकार रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मशक्कत कर रही है ,ऐसे में अगर झारखंड में कार्यरत निजी स्कूलों के शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मी भी बेरोजगार हो जाएंगे, तो इसके लिए जिम्मेवार कौन होगा, इसलिए सभी पहलुओं पर ध्यान देने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाना चाहिए. निजी विद्यालयों की आयोजित बैठक में जाने के पूर्व प्राइवेट स्कूलस एण्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर ऐसोशियेशन के अध्यक्ष आलोक दूबे ने शिक्षा मंत्री को उनके आवास पर ज्ञापन सौंपा. ऐसोशियेशन ने यह भी कहा है झारखण्ड सरकार निजी स्कूलों को लेकर लिये जाने वाले निर्णय का स्वागत करेगी.
शिक्षामंत्री को सौंपे गये ज्ञापन में मांग की गयी है कि राज्य सरकार निजी स्कूलों के विभिन्न टैक्सों को माफ करें और एकतरफा निर्णय नहीं ले. उन्होंने शिक्षामंत्री के प्रति इस बात के लिए आभार व्यक्त किया कि 19 वर्ष में पहली बार राज्य का कोई शिक्षामंत्री निजी स्कूलों के साथ बैठक कर समस्या के समाधान की दिशा में पहल की कोशिश की है. इसके लिए शिक्षामंत्री के प्रति एसोसिएशन आभार व्यक्त करता है. श्री दूबे एवं श्री शाहदेव ने कहा कि बैठक में और मंत्री से मिलने हमलोग कांग्रेस प्रवक्ता की हैसियत से नहीं ऐसोशिऐशन के चेयरमैन की हैसियत से आया हूँ. 20लाख करोड़ रुपये के केंद्रीय पैकेज में से आईटीआई की तरह निजी स्कूलों को भी कुछ सहायता उपलब्ध कराने के लिए भाजपा नेताओं को केन्द्र सरकार को पत्र लिखना चाहिए, 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज में निजी स्कूलों को सहायता के लिए पत्र लिखना चाहिए, केन्द्र सरकार के शिक्षा मंत्री ने स्कूल खोलने का एकतरफा निर्णय लिया, झारखंड के शिक्षा मंत्री से कोई संवाद नहीं किया यहां तक कि केन्द्र के शिक्षा मंत्री ने पहले ही निजी स्कूलों को फीस लेने का फरमान जारी कर चुके हैं.सच तो यह है कि भाजपा के लोग सरकारी विधालय को बन्द करने के बाद अब प्राइवेट स्कूलों को भी नष्ट करना चाहते हैं.