रांची. झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की ओर पर्यावरणीय अनुमति लिये बगैर झारखंड में नवनिर्मित विधानसभा भवन और निर्माणाधीन हाईकोर्ट भवन को लेकर लगाये गये 130करोड़ रुपये जुर्माने की राशि को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों, तत्कालीन मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों तथा संबंधित ठेकेदार की संपत्ति को जब्त कर भुगतान करने की मांग की है.
जेएमएम के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने गुरुवार को रांची में संवाददाता सम्मेलन में बताया गया कि रांची के एचईसी क्षेत्र में खाली पड़ी जमीन पर हाईकोर्ट भवन और विधानसभा भवन निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ, उसी वक्त पार्टी की ओर से सवाल उठाये गये थे. उच्च न्यायालय ने भी हाईकोर्ट के नये भवन की प्राक्कलन राशि पर सवाल खड़ा गये और इस भवन का निर्माण कार्य अब तक अधूरा है. वहीं बगैर पर्यावरणीय अनुमति, सोशल इंम्पैक्ट का अध्ययन किये और कंम्पीटेशन सर्टिफिकेट के सत्ता के नशे में चूर तत्कालीन मुख्यमंत्री ने 12 सितंबर 2019 को इस आधे-अधूरे ढांचे का प्रधानमंत्री से उद्घाटन करा लिया गया. तब मुख्य विपक्षी दल होने के नाते जेएमएम ने इस पूरे कार्यक्रम का बहिष्कार किया था और अब एनजीटी की ओर से 130 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना भी लगाया गया है. इस जुर्माने की राशि को राज्य सरकार जनता की गाढ़ी कमाई से भुगतान न करें, बल्कि इस कृत्य के लिए पूरी तरह से पूर्ववर्ती सरकार जिम्मेवार है, इसलिए तत्कालीन मुख्यमंत्री सह भवन निर्माण मंत्री रघुवर दास, उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों, तत्कालीन मुख्य सचिव और भवन निर्माण विभाग समेत अन्य जिम्मेवार अधिकारियों तथा निर्माण कार्य पूरा करने वाले संवेदक की संपत्ति जब्त कर 130 करोड़ रुपये जुर्माने की राशि का भुगतान किया जाए.
जेएमएम महासचिव ने बीजेपी द्वारा राज्य में शैडो कैबिनेट के गठन पर भी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सत्ता से हटने के बावजूद उनका नशा अब तक खत्म नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि पार्टी पूर्ववर्ती सरकार में सभी विभागों में हुई गड़बड़ियों की जांच कराने की मांग करती है और केंद्र सरकार भले ही झारखंड समेत अन्य गैर भाजपा शासित राज्यों को जीएसटी का बकाया देने में आनाकानी करें, राज्य सरकार इन घोटालों से जीएसटी क्षतिपूर्ति से दस गुणी अधिक राशि उनसे वसूल करेगी.