झारखंड कांग्रेस एक बार फिर गुटबाजी का शिकार दो फाड़ में बटी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर अजय दूसरे गुट के निशाने पर
रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस में एक बार फिर हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव में हार से बौखलाया पार्टी का एक गुट इसका ठीकरा अध्यक्ष पर फोडऩा चाहता है, तो अध्यक्ष के साथ उनकी टीम भी ताकत से खड़ी है। अब डॉक्टर अजय की बैकग्राउंड की बात करें तो डॉ. अजय पहले पूर्व के चर्चित आईपीएस अफसर हैं पटना और जमशेदपुर में एसपी रह चुके हैं और वे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहे जाते थे क्रिमिनल में उनकी खौफ भी रही है लेकिन उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा ऐसी जगी की नौकरी से इस्तीफा देकर वे राजनीति में आए
झाविमो से राजनीति की की शुरुआत
जमशेदपुर से झाविमो की टिकट पर चुनाव लड़कर सांसद बने हालांकि उस चुनाव के दौरान भी इनकी नक्सलियों से बातचीत की विवादित सीडी भी जारी हुआ था उस समय उनके सामने भाजपा के तात्कालिक प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानन्द गोस्वामी खड़े हुये थे जिन्हें अजय ने पराजित कर दिया जेवीएम से सांसद बने डॉक्टर अजय को ज्यादा अंतराल तक जेबीएम में रहना रास नहीं आया
जेवीएम छोड़ वे कांग्रेस में चले गए और बन गए अध्यक्ष
कांग्रेस में आने से इनका कद इतना बढ़ गया। कदावर नेताओ को बाई पास करके जल्द ही उन्हें झारखंड कांग्रेस की कमान सौंपी गई और वहीं से एक बड़ा गट इनके खिलाफ गोलबंदी करने लगा और लोकसभा चुनाव के परिणाम में झारखंड में थी कांग्रेस को मिली असफलता से भीतर भीतर सुलग रही चिंगारी एकाएक फूट पड़ी और कांग्रेस भवन में ही इनके खिलाफ संवाददाता सम्मेलन आयोजित होने लगे हैं और इन पर तरह-तरह के आरोप भी लगने लगे जिसमें लोकसभा चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं और कद्दावर नेताओं को तरजीह ना देते हुए हैं टिकट बांटने का आरोप लगा गठबंधन में भी अपनी पार्टी के वरिष्ठ कांग्रेसियों से सलाह ना लेने का भी आरोप लगा और तो और लोकसभा का टिकट बेचने तक का आरोप लगाया गया और उनका विरोध जारी है
दो गुट में बटी कांग्रेस
झारखंड में कांग्रेस फिलहाल दो गुटों में बटी नजर आ रही है जिसमें एक सुबोध कांत सहाय ,प्रदीप बलमुचू ,फुरकान अंसारी सरीखे नेताओं का है वैसे तो कांग्रेस में गुटबाजी झारखंड में पूर्व में भी हावी रही है और इस बार भी कोई अनोखी बात नहीं है डॉ अजय के विरोध में इससे पूर्व विरोधी गुट मुर्दाबाद के नारों के बीच अपने प्रदेश अध्यक्ष का पुतला भी फूंक चुके हैंझारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी डॉक्टर अजय सबको शांत करने की कोशिश में जिलाध्यक्षों को संबोधित करते हुए कह भी दिया एकजुट हों, संगठित हों, संगठन को मजबूत बनाएं, जनता के सवालों को लेकर आंदोलन कर राज्य सरकार की विफलता सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाकर किसानों की आत्महत्या, भूख से मौत, मॉब लिंचिंग और सुखाड़ पर मुखर रहकर आवाज बुलंद की जाए और जनता के बीच कांग्रेस की साख वापस लाई जाए।
लेकिन कांग्रेस का एक गुट के विपरीत झामुमो के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ना चाहते हैं जबकि दूसरा गुट बार-बार गठबंधन से कांग्रेस पार्टी के खोए हुए वजूद से वापसी पाना चाहता है और वह गुट डॉक्टर अजय थे इस बात पर सहमत नहीं दिखता है और वह कांग्रेस को अकेले ही विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमाने पर बल दे रहा है एक गुट तो दिल्ली कोंग्रेस दरबार इनके खिलाफ धूनी रमाए हुए हैं और आलाकमान हटाने की मांग पर अड़ा हुआ है यानी झारखंड में 81 विधानसभा सीटों में से मात्र आधा दर्जन सीटों पर विधायक से उपस्थिति दर्ज कराने वाली कांग्रेस के दिन फिरेंगे या नहीं लेकिन इतना तय है की कांग्रेस का अंदरूनी कला ठंडा पढ़ने को नहीं है अजय का विरोधी गुट भी एक बड़ा वजूद रखता है जो कि हर वक्त आर या पार के मूड में दिखाई दे रहा है और यह विवाद अभी थमने को नहीं है जोकि कांग्रेस के लिए ही नहीं महागठबंधन के लिए भी खतरनाक है