राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक के खिलाफ विरोध जताने के लिए देशभर के सरकारी अस्पतालों में बुधवार को ओपीडी सुविधा बंद रहेगी. डॉक्टरों का कहना है कि विधेयक में शामिल किए गए प्रावधानों से नीम-हकीमों को प्रोत्साहन मिलेगा. सोमवार को लोकसभा में पारित किए गए इस विधेयक के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने विरोध प्रदर्शन किया. एसोसिएशन ने देशभर में गैर-जरूरी सेवाओं को 24 घंटे तक बंद करने की बात कही है.
इस दौरान सभी राज्यों में प्रदर्शन और भूख हड़ताल की जाएगी. आईएमए ने मेडिकल छात्रों से एकजुटता दिखाते हुए क्लॉसेज़ का बहिष्कार करने को भी कहा है. फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्र्ट्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) और रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) समेत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने अपने सदस्यों को काले बैज पहनने को कहा है.
आरडीए के एक बयान में कहा गया है कि अगर संशोधन नहीं किया गया तो इससे न केवल चिकित्सा शिक्षा के मानकों में गिरावट आएगी, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में भी गिरावट आएगी. ओपीडी सहित गैर-जरूरी सेवाएं बुधवार को सुबह छह बजे से गुरुवार की सुबह 6 बजे तक बंद रहेंगी. जबकि आपातकालीन, दुर्घटना, आईसीयू और संबंधित सेवाएं सामान्य रूप से काम करेंगी.
आईएमए के महासचिव आर. वी. असोकन ने कहा, “एनएमसी बिल की धारा-32 में आधुनिक चिकित्सा पद्धति का अभ्यास करने के लिए 3.5 लाख अयोग्य और गैर चिकित्सकों को लाइसेंस देने का प्रावधान है. सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाता शब्द को अस्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, जो आधुनिक चिकित्सा से जुड़े किसी व्यक्ति को एनएमसी में पंजीकृत होने और आधुनिक अभ्यास करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने की अनुमति देता है.”
उन्होंने कहा, “इसका मतलब यह होगा कि सभी तरह के पैरामेडिक्स जिसमें फार्मासिस्ट, नर्स, फिजियोथेरेपिस्ट, ऑप्टोमेट्रिस्ट इत्यादि आधुनिक चिकित्सा पद्धति का उपयोग करने के साथ ही स्वतंत्र रूप से दवाइयां परामर्श करने के लिए वैध होंगे.”
उन्होंने कहा कि यह हड़ताल सरकार को बिल की खामियों के बारे में बताने के लिए है। आईएमए के नैशनल अध्यक्ष शांतनु सेन ने कहा कि इससे सिर्फ नीम-हकीमी को वैधता मिलेगी और लोगों की जानें खतरे में पड़ जाएंगीं। इसीलिए हम बिल का विरोध करते हैं। बता दें कि यह बिल मेडिकल काउंसिल की जगह लेगा और इसमें कई बदलाव किए गए हैं।
देशव्यापी हड़ताल को देखते हुए महाराष्ट्र के 44 हजार डॉक्टर भी हड़ताल पर रहेंगे। ऐसे में हड़ताल के कारण राज्य में मरीजों को मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि आईएमए ने कहा कि हड़ताल के दौरान केवल गैरजरूरी मेडिकल सेवाओं को अटेंड नहीं किया जाएगा, जबकि हर तरह की इमर्जेंसी सेवाएं जारी रहेंगी। आईएमए से मिली जानकारी के अनुसार, विरोध के मद्देनजर बुधवार सुबह 6 बजे से गुरुवार सुबह 6 बजे तक सदस्य डॉक्टर ओपीडी में सेवाएं नहीं देंगे।
भारत में अब तक मेडिकल शिक्षा, मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित काम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जिम्मेदारी थी। बिल के पास होने के बाद अब MBBS पास करने के बाद प्रैक्टिस के लिए एग्जिट टेस्ट देना होगा। अभी एग्जिट टेस्ट सिर्फ विदेश से मेडिकल पढ़कर आने वाले छात्र देते हैं। वहीं, एनएमसी बिल के सेक्शन 32 में 3.5 लाख नॉन मेडिकल शख्स को लाइसेंस देकर सभी प्रकार की दवाइयां लिखने और इलाज करने का कानूनी अधिकार दिया जा रहा है, जिसका डॉक्टर विरोध कर रहे हैं।