रांची : बिजली की जर्जर ट्रांसमिशन लाइनों की शक्ल में शहर के सैकड़ों घरों के ऊपर मौत झूल रही है. कई बार इन लाइनों की चपेट में गंभीर हादसे भी हो रहे हैं. इसके वजह से कई मर्तबा भीड़भाड़ वाले इलाकों में अफरातफरी भी मच चुकी है. यही हाल मकानों के ऊपर या फिर उनके छज्जों को छूकर गुजरने वाली 1300 KVA लाइन का भी है. इनसे हमेशा बड़ा हादसा होने भी ख़तरा मंडराता रहता है. बिजली विभाग बिल वसूली के लिए तो पूरे साल अभियान चलाती है, लेकिन जर्जर तारो को बदलने के लिए महकमा कभी बजट तो कभी स्टाफ का रोना रोता है. ऐसे में इन लाइनो के नीचे रहने वाले हजारों लोग खौफ़ज़दा रहते है.
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बीच शहर में जर्जर लाइनों का मकड़जाल डोरंडा के साउथ आफिस पाड़ा, हिंदपीढ़ी, कांटाटोली इत्यादि इलाकों में बिजली के झूलते तार हर वक्त हादसों को आमंत्रित कर रहे हैं. हाल ही में बिजली विभाग ने कुछ इलाकों में जर्जर ओपन लाइन के स्थान पर कवर वायर खींचने का काम शुरू किया गया है. यह योजना एपीडीआरपी के तहत चलाई जा रही है, जिसका उद्धघाटन 2016 में किया गया था.
आपको बता दें की हिंदपीढ़ी स्तिथ गुरुनानक स्कूल से महज 10 मीटर की दूरी पर ट्रांसफार्मर है और वहीं से गुजरकर स्कूल वाहन का वहां पर भी बिजली की झूलती तारो की वजह से आये दिन शॉर्ट सर्किट होते रहती है. जिसके कारण वहां कई बार ट्रांसफार्मर में भी आग लग चुका है. इसके बावजूद भी बिजली विभाग ने इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.
छतों पर जाने से खौफ खाते हैं लोग
हिंदपीढ़ी इलाके के सैकड़ों मकानों के ऊपर से बिजली की तार गुजर रही है. इन तारों से हर वक्त आने वाली झंझनाहट की आवाज इलाके के लोगों के रोंगटें खड़े कर देती है. आलम यह है कि लोगों ने अपने घरों की छतों पर जाना बंद कर दिया है. बारिश के इन दिनों में खुली लाइन और भी खतरनाक हो जाती है. इन लाइनों की वजह से दीवारों पर करंट उतरने का भी खतरा बना रहता है. इलाके के बीएस चटर्जी, रोहित, अशोक कुमार, किरण देवी आदि का कहना है कि कई बार बिजली विभाग से शिकायत की जा चुकी है, लेकिन सुनवाई नहीं हुई .