गुमला: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा है कि केंद्र सरकार ने डीवीसी के बकाया के रूप में 1417 करोड़ रुपये काट कर झारखंड जैसे आदिवासी बहुल राज्य को नीचा दिखाने और राज्य की अर्थव्यवस्था को अस्त-व्यस्त करने का कदम उठाया गया है. इसका जवाब राज्य की जनता दुमका और बेरमो विधानसभा उपचुनाव के माध्यम से देगी.
प्रदेश प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि डीवीसी की ओर से जिस 5417.50करोड़ रुपये बकाये की बात की जा रही है, वह सारा बकाया पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार के समय का है.
हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठित सरकार की ओर से अपने कार्यकाल का समय पर डीवीसी का बकाया का भुगतान किया गया है और मात्र 100 से 125 करोड़ का ही बकाया होगा, जिसका भुगतान भी राज्य सरकार की ओर से जल्द ही कर देने का भरोसा कराया गया है. लेकिन पिछले पांच वर्षां में भाजपा सरकार के शासन में डीवीसी का बकाया बढ़ता ही गया.
इस बीच रघुवर दास सरकार के कार्यकाल में 2017 में एक ऐसा द्विपक्षीय समझौता कर लिया गया, जिससे बकाया राशि राज्य सरकार के खाते से सीधे काट लिये जाने का प्रावधान शामिल कर लिया गया. लेकिन पांच सालों में डीवीसी का बकाया राशि बढ़ता ही गया, लेकिन इस दौरान एक बार भी बकाया राशि की कटौती नहीं की गयी, परंतु अब झारखंड में कांग्रेस-जेएमएम-आरजेडी के नेतृत्व में सरकार गठन होने से केंद्र सरकार द्वारा गैर भाजपा शासित राज्यों को परेशान करने तथा आर्थिक स्थिति को कमजोर करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है.
उन्होंने कहा कि डीवीसी की ओर से जो 5417.50करोड़ रुपये बकाया का दावा किया जा रहा है, उस दावे पर भी राज्य के ऊर्जा विभाग द्वारा आपत्ति दर्ज करायी गयी है और बकाया करीब 3500 करोड़ रुपये का ही होने को लेकर सारे दस्तावेज के साथ विस्तृत जानकारी दी गयी.
लाल किशोर शाहदेव ने बताया कि झारखंड सरकार के पास आय के स्रोत सीमित है. ऐसे में कोविड-19 के आपातकाल में कर संग्रह भी कम हुआ है. पहले से ही राज्य की सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है.
दूसरी ओर केंद्र सरकार द्वारा राज्य के खजाने पर आक्रमण किये जा रहे हैं, वहीं राज्य सरकार का बकाया भी नहीं दिया जा रहा है. राज्य के सभी एनडीए सांसदों से प्रदेश कांग्रेस कमिटी निवेदन करती है कि प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर राज्य की हलात की जानकारी दे एवं सभी प्रकार के बकाया राशि भुगतान करने का अनुरोध करें.