समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सुरेंद्र नागर के राज्यसभा से इस्तीफा देने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव को बड़ा झटका लगा है। सुरेंद्र नागर के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की चर्चा है। माना जा रहा है कि अगले दो-तीन दिन में वे भाजपा में शामिल हो जाएंगे। इससे न केवल सपा का गौतमबुद्ध नगर में अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर पहुंच गया है, बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा के लिए संकट गहरा सकता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट और गुर्जर मतदाताओं की बड़ी संख्या है। बताया जा रहा है कि उनके साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश और गौतमबुद्ध नगर के कई और सपा नेता भाजपा में शामिल हो सकते हैं। सुरेंद्र नागर का गुर्जरों में काफी वजूद माना जाता है। इससे भाजपा को दिल्ली और हरियाणा में भी फायदा होगा। इन दोनों राज्यों में भी गुर्जर काफी संख्या में हैं।
सुरेंद्र नागर 2016 में सपा से राज्यसभा सदस्य बने थे। उनका अभी तीन वर्ष का कार्यकाल बाकी था। बताया जाता है कि पिछले करीब 15 दिन से भाजपाई उनसे संपर्क कर रहे थे। भाजपा हाईकमान के साथ कई बार की बैठक के बाद शुक्रवार को उन्होंने सपा को बड़ा झटका दे दिया। हालांकि, लोकसभा चुनाव के समय से ही सुरेंद्र नागर के भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जाने लगी थीं।
सुरेंद्र नागर गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट से 2009 में सांसद चुने गए थे। 2014 में बसपा ने उनका टिकट काट दिया। इसके बाद उन्होंने सपा का दामन थाम लिया। उस समय सपा में नरेंद्र भाटी का एकछत्र राज चलता था। सुरेंद्र नागर के सपा में आ जाने से गौतमबुद्ध नगर व बुलंदशहर में सपा की राजनीति इन्हीं दोनों के इर्द-गिर्द घूमने लगी। इससे अखिलेश यादव के लिए मुसीबत बढ़ने जा रही है।