रांची: आजादी के संघर्ष और महात्मा गांधी के रांची से जुड़ाव की गवाह राजधानी में मौजूद 93 साल पुरानी एक फोर्ड कार भी है. 1927 मॉडल की फोर्ड कन्वर्टिबल कार से गांधी जी की यादें जुड़ी हुई है. यह वही कार है, जिससे महात्मा गांधी 1940 में रामगढ़ अधिवेशन में भाग लेने रांची से गए थे. आजादी के संघर्ष और ब्रिटिश समय की यादों को रांची के प्रसिद्ध जायवाल परिवार ने सहेज कर रखा है. रामगढ़ अधिवेशन में भाग लेने रांची आए, गांधी जी ने जिस कार की सवारी की थी, वह आज भी चल रही है.
एचबी रोड़ में जायसवाल परिवार ने इस कार को संभाल कर रखा है. इसी कार पर गांधी जी ने बापू कुटीर, जायसवाल आवास कोकर से रामगढ़ तक सफर तय किया था. उनके सफर से सहभागी बने थे. रांची के राय साहब लक्ष्मी नारायण. उनके परपोते आदित्य विक्रम जायसवाल ने इस कार को सहेजकर रखा हुआ है.
साख है कार
1927 मॉडल फोर्ड कार को इंपोर्ट आदित्य विक्रम जायसवाल के परदादा राय साहब लक्ष्मी नारायण ने 1927 में मंगाया था. फोर सीटर इस कन्वर्टिबल कार में चार सिलेंडर इंजन है. यह अज भी आधुनिक कार से कम नहीं है. 1927 में राय साहब पहले नॉन ब्रिटिश थे, जिन्होंने फोर्ड की यह मॉडल खरीदी थी.
अभी भी अच्छी स्थिति में है कार
राय साबह के पर पोते आदित्य विक्रम जायसवाल ने कहा कि हमारे लिए यह बहुत ही गर्व की बात है कि महात्मा गांधी जी ने इस कार में रांची से रामगढ़ तक की यात्रा पूरी की थी. 1927 मॉडल यह फोर्ड कार मेरी सबसे पसंदीदा कार है. जो आज भी अच्छी स्थिति में है.
जायसवाल परिवार में आज भी बापू कुटीर है मौजूद
रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन के दौरान महात्मा गांधी जी जब रांची आये थे तब वो जायसवाल के आवास पहुँचे थे, जहां उनका स्वागत हुआ था वो बापू कुटीर आज भी वही अंदाज में मौजूद हैं. इस बापू कुटीर को कांग्रेस नेता आदित्य विक्रम जायसवाल बहुत ही अच्छे से संजोय कर रखे हैं. जायसवाल परिवार ने महात्मा गांधी के कहने पर राजा की उपाधि लौटा दी है.
स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा रहा है जायसवाल परिवार
स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहने के चलते अंग्रेजों से साजिश के तहत खेदन लाल को जहर देकर उनकी हत्या कर दी थी. इसके बाद 1971 में आदित्य विक्रम जायसवाल के दादा राजा राम शास्त्री सांसद रहे. इनका परिवार भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा रहा, उनके परिजनों ने आजादी की महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ी. जायसवाल के परदादा खेदन लाल जी, राय साहब राजा राम शास्त्री, गरिधारी लाल जी का देश की स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत बड़ा योगदान रहा. इसके लिए उनके दादा को ताम्रपत्र भी मिला. वहीं राजा राम को पदमविभूषण से सम्मानित किया गया था. मालूम हो कि आदित्य का दादा शिव नारायण जायसवाल र 1962 में रांची के प्रथम मेयर रह चुके हैं.