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सदन में विधायक प्रदीप यादव के सवाल पर मंत्री जगरनाथ महतो ने दिया जवाब
रांची/ अवैध शराब बनाने के मामले में राज्य में अब तक 14731 गिरफ्तारियां हुई हैं. जबकि, 1363 लोगों को जेल में डाला गया है.
ये आंकड़े वर्ष 2017 से लेकर 2020 फरवरी माह तक के हैं. इस संबंध में विधायक प्रदीप यादव ने सदन में सवाल उठाया था.
इसके जवाब में मंत्री जगरनाथ महतो ने विभाग द्वारा की गयी कार्रवाई से सदन को अवगत कराया. विधायक प्रदीप यादव ने टास्कन फोर्स की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े किये.
इस पर मंत्री ने बताया कि मुख्यालय स्तर पर उत्पाद निगरानी कोषांग का गठन किया गया है. वहीं, जिला स्तर पर भी टास्क फोर्स बनाये गये हैं. जो लगातार अवैध शराब निर्माण के खिलाफ छापामारी अभियान चला रहे हैं.
बताया गया कि अवैध शराब मामले में अब तक राज्य में 29497 मामले दर्ज हुए हैं. छापेमारी के दौरान हजारोंं लीटर शराब जब्त किये गये हैं. इसके अलावा चुलाई शराब, जावा महुआ भी शामिल है.
अब तक के मामले और गिरफ्तारियों के आंकड़े इस प्रकार हैं:
वर्ष | मामलों की संख्या | गिरफ्तारी | जेल |
2017-18 | 8120 | 4801 | 503 |
2018-19 | 10029 | 5215 | 662 |
2019-20 | 11348 | 4715 | 1298 |
अब तक शराब जब्त की मात्रा:
- अवैध चुलाई शराब- 222835.40 लीटर
- जावा महुआ- 1724881.25 लीटर
- अवैध देशी शराब- 16388.52 लीटर
- अवैध विदेशी शराब- 78530.70 लीटर
- बीयर- 4432 लीटर
- मसालेदार देशी शराब- 3244 लीटर
शराब पीने से हुई मौतें:
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धनबाद में:
– वर्ष 2004-05 में 15 मौतें
– वर्ष 2007-08 में 7 मौतें -
रांची में:
– वर्ष 2017 में 16 मौतें हुई, इनमें नौ लोगों की मौत जहरीली शराब पीने की वजह से हुई
– वर्ष 2018 में पांच मौतें हुईं, इनमें चार मौत जहरीली शराब पीने की वजह से हुईं -
गिरिडीह में:
– वर्ष 2020 में 15 मौतें हुईं, इनमें से 11 मौतें जहरीली शराब पीने की वजह से हुईं
उत्पाद विभाग में 80 प्रतिशत पद खाली:
उत्पाद विभाग में लगभग 80 प्रतिशत पद खाली हैं. जिस वजह से विभागीय कार्य प्रभावित हो रहे हैं. इसको लेकर झारखंड कर्मचारी चयन आयोग को अधियाचना भेजी गयी है.
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इसमें 38 अवर निरीक्षक उत्पाद, 35 सहायक अवर निरीक्षक उत्पाद व उत्पाद सिपाही के लिए 518 पदों पर नियुक्ति की सूची शामिल हैं.
आयोग द्वारा 518 उत्पाद सिपाहियों की लिखित परीक्षा भी हो चुकी है.
ऐसी होती है निगरानी:
अवैध शराब व्यापार पर निगरानी रखने के लिए सूचना एवं प्रौद्योगिकी माध्यमों का इस्तेमाल किया जाता है. विभाग की वेबसाइट पर शराब के स्टॉक की जांच कर उसे अद्यतन किया जाता है.
छापेमारी के अलावा जेएसबीसीएल के सभी गोदामों को सीसीटीवी कैमरा के जरिये शराब के परिचालन पर निगरानी रखी जाती है.