रंजीत कुमार,
रांची: कृष्ण कुमार राम पिछले 15 वर्षों से रांची के बरियातू स्थित DAV नंदराज में कार्यरत थे. स्कूल के कैंपस में ही रहते है. कोरोना संकट काल में अचानक विद्यालय प्रबंधन ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया.
कृष्णा कुमार अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं. उन्होंने बताया कि स्कूल प्रबंधन ने मार्च महीने में कोरोना के नाम पर सैलरी का कुछ अंश काट लिया. अप्रैल और मई में भी करीब 40 प्रतिशत सैलरी की कटौती की गई. इतना ही नही, जून महीने में प्रबंधन के द्वारा 6 महीने के अवकाश पर चलने जाने का दबाव बनाया गया. धमकी दी गई कि अवकाश में नहीं जाने पर टर्मिनेट कर दिया जाएगा. इस अन्याय के खिलाफ झुकने को तैयार नहीं हुए तो नौकरी से हटा दिया गया.
कृष्णा कुमार बताते हैं कि बुजुर्ग माता-पिता सहित पूरे परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेवारी उनके कंधे पर है. विगत 15 वर्षों से DAV नंदराज में कार्यरत थे, जिससे परिवार का गुजारा चलता था.
कोरोना के इस संकट काल में प्रबंधन ने उनकी नौकरी ले ली. अब उनका और उनके परिवार का क्या होगा. यह बताते हुए उनकी आंखें डबडबा जाती है. गला रुंध जाता है.
कोरोना के समय में वैसे ही तनख्वाह काट कर दी जा रही थी. अब तो नौकरी ही चली गई. भविष्य में कोई दूसरी नौकरी मिलेगी, इसकी भी संभावना नगण्य है.
विद्यालय जब छात्रों से ट्यूशन फीस ले रहा है, तब कर्मचारियों को नौकरी से हटाना कहीं से भी न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता.
विद्यालय प्रबंधन ने सरकार को दोषी ठहराया
इस संबंध में पूछे जाने पर विद्यालय प्रबंधन ने सरकार को दोषी ठहराया. विद्यालय प्रबंधन के अनुसार सरकार की नीतियों की वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस वजह से पिछले 3 महीने में 5 से 6 कर्मचारियों की छंटनी की गई है.