खूंटी: गरीबी की हालात में गुजर बसर करने वाले तोरपा प्रखंड के सदान टोली के छोटेलाल सिंह घर गृहस्थी चलाने के लिए अण्डमान पोर्ट ब्लेयर चला गया और वहां मजदूरी करने लगा. इसी बीच सुनामी के कहर के बाद अण्डमान से पत्राचार भी बन्द हो गया.
उसकी पत्नी आरती देवी की आर्थिक स्थिति अति दयनीय हो गयी तब परिवार की गाड़ी चलाने के लिए आरती देवी दिल्ली जाकर दाई का काम करने लगी और तबियत खराब रहने के कारण वापस गांव आ गयी. तब तक आरती देवी की बेटी की शादी की उम्र हो गयी और दिल्ली में कमाए पैसे और जमीन बेचकर बेटी की शादी करायी.
शादी के ठीक पहले बेटी ने अपनी माँ से कहा कि शादी की तैयारियां पूरी हो गयी हैं लेकिन अब भी कुछ अधूरा अधूरा लग रहा है. बेटी ने अपनी मां से कहा कि मैं तभी शादी करूंगी जब आप पापा को अण्डमान से वापस लेकर आएंगी. तब आरती देवी असमंजस में पड़ गयी और बेटी से कहा कि तुम्हारी शादी हो जाएगी उसके बाद मैं तुम्हारे पापा को ढूढ़कर लाऊंगी. बेटी की शादी के लिए आरती देवी को अपनी जमीन भी बेचनी पड़ी. जमीन के पैसे और दिल्ली के काम के पैसे जोड़ जोड़ कर बेटी का व्याह कराया.
बेटी का ब्याह कराने के बाद आरती देवी सुनामी में लापता अपने पति की तलाश में निकली. अण्डमान जाने के लिए महिला मंडल से 5000 रुपया ऋण लेकर अण्डमान पहुंची.पोर्टब्लेयर में पता चला कि पति जिंदा हैं तब अपने पति को ढूढ़कर आरती देवी वापस अपने गांव गुफ़ू पहुंची.
गांव वापस आने पर देखा कि केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा समेत अन्य कृषि कार्यों से जुड़कर गांव के लोग अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर बनाने में जुटे हैं. आरती देवी भी अपने बंजर जमीन में डोभा तालाब खुदवाई और मनरेगा से आम बागवानी के लिए 210 गड्ढा तैयार किया. आरती देवी को आम बागवानी में गैर सरकारी संगठन प्रदान से सहयोग मिला और 210 आम्रपाली के पौधे लगाए. आम्रपाली के पौधे के बीच मे मल्चिंग विधि से मिर्च, अदरख, मटर आलू, सरसों गोभी की खेती करने लगी और अब प्रत्येक माह बाजार में सब्जी और आम के मौसम में 70-80 हजार तक का आम बेचकर बेहतर आमदनी करने में जुटी हैं.
आरती देवी आज आस पास के गांवों के लिए मिसाल बन गयी हैं. आम बागवानी, डोभा, तालाब और मल्चिंग विधि से खेती के तरीकों ने आरती के जिंदगी को संवारने में बेहतर भूमिका निभाई. आज महिला मंडल में एक साथ मिलकर पूरा गांव आम बागवानी और सब्जी की खेती में जुटा है.