हाईकोर्ट के टिप्पणी पर भाजपा का राज्य सरकार पर प्रहार
रिम्स के संबंध में कोर्ट की टिपण्णी को लेकर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू ने कहा कि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल का हाल खस्ता है। राज्य की जनता बड़े उम्मीद के साथ रिम्स जैसे अस्पताल में इलाज कराने को पहुंचती है किंतु अस्पताल का हाल यह है कि मरीजों को देखने वाला कोई नहीं। रिम्स में प्रबंधन नाम की कोई व्यवस्था नहीं रही। राज्य सरकार इसी अस्पताल के नाम पर बड़े-बड़े ढोल पीट रही है किंतु जमीनी हकीकत इससे इतर है। सरकार राज्य की जनता को उचित स्वास्थ्य सुविधा देने में असफल साबित हुई है।
उन्होंने कहा कि हालात यह है कि बीमार व्यक्ति रिम्स के बरामदे में इलाज कराने को मजबूर हैं। बीमार व्यक्ति स्लाइन का बोतल खुद पकड़ कर खड़े रहने को मजबूर है। समय समय पर उचित देखभाल नहीं हो रही है। मालूम हो कि रिम्स के इसी कुव्यवस्था को देखते हुए हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दर्ज की थी। इसी याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि जब मंत्री व ओहदेदार रिम्स जाते हैं तो उन्हें सारी सुविधाएं मिलती है।वहीं आम मरीजों को यहां कोई पूछता तक नहीं। रिम्स पहुंचे मरीजों से प्रबंधन ऐसे व्यवहार करता है जैसे वह एहसान कर रहा हो। यह स्थिति बर्दाश्त नहीं की जा सकती है।
सरकार और अधिकारियों की लड़ाई में फंसा रिम्स
उन्होंने रिम्स के बिगड़ते हालात को लेकर सरकार को जिम्मेवार ठहराते हुए कहा कि अस्पताल प्रबंधन और सरकार के बीच की खींचतान जगजाहिर है। स्वास्थ्यमंत्री और सचिव के झगड़े, कोरोन काल में ही एक अच्छे निदेशक का स्थानांतरण किया जाना, सरकार की मंसा साफ करती है।
इसके साथ ही श्री साहू ने कहा कि कोरोना काल में सरकार और अस्पताल राज्य की जनता को उचित व्यवस्था देने में असफल रही। जनता के आकांक्षाओं पर विफल साबित हुई है।