रांची: कभी दिल्ली कभी हैदराबाद तो कभी राजस्थान देश का कोई भी कोना क्यों ना हो महिलाओं के लिए सुरक्षित कभी ना हो सका दरिंदे दुष्कर्म की घटना को अंजाम देते रहे और बेटी बहनें बिना किसी कुसूर के सजा भुगतती रहीं . 16 दिसंबर 2012 की वो घटना देश शायद कभी नहीं भूल सकता.
ये वो तारीख है जो आज भी इंसानियत को अंदर तक कचोट देती है. जब देश की राजधानी दिल्ली में चलती बस में पांच दरिंदों ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दी थीं. और तब जन्म हुआ था निर्भया का.
आज से ठीक सात साल पहले हुई इस घटना को बीते सात साल हो गए हो पर आज भी हमारे दिलो दिमाग में तरोताज़ा है.
तब देशभर में बड़े स्तर पर इस घटना के विरोध में प्रदर्शन हुए. कानून बदला, दुष्कर्मियों को सजा देने के लिए नए नियम और प्रावधान गढ़े गए. निर्भया के दोषियों को सजा भी सुनाई गई. पांच में से एक नाबालिग था, एक ने जेल में आत्महत्या कर ली थी और बाकी तीन को फांसी की सजा मिली हुई है. इन तीनों को फांसी के फंदे पर कब लटकाया जाएगा, इसपर फैसला आना अभी भी बाकी है.