भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के रडार पर हैं अंचल अधिकारी
राजभवन ने शिकायत पत्र पर जांच के लिए सरकार को भेजा
आरोपी अफसर के भ्रष्टाचार को उच्च पदस्थ अधिकारियों का संरक्षण
राजेश तिवारी,
रांची: झारखंड के गिरिडीह जिले में पदस्थापित सदर अंचल अधिकारी कितना पावरफूल हो सकता है, आप शायद इसका अनुमान नहीं लगा सकते हैं. प्रशासन और शासन में बैठे बड़े-बड़े लोगों को अपनी जेब में रखने का दावा करनेवाला यह अधिकारी जिले में डंके की चोट पर पूरे सिस्टम को ठेंगा दिखा रहा है. गिरिडीह में जमीन घोटाला करवाने, भू माफियाओं को संरक्षण देनेवाला और सरकार के नियम कानून को धता बताकर अपना मतलब साधनेवाला यह अधिकारी जिले के सभी आला अधिकारियों को बड़े मजे से साध रहा है. इससे बढ़कर राजस्व विभाग के बड़े अधिकारियों, जांच एजेंसियों और संवैधानिक संस्थाओं पर कितना भारी पड़ सकता है, इसका अनुमान लगाना कइयों के लिए बहुत आसान नहीं है. यह अधिकारी अपनी काली करतूतों को छिपाने, दबाने और मिटाने के लिए स्थानीय मीडिया को अपनी जेब में लेकर चलता है. इस अधिकारी की करतूतों और काले धंधे की जांच के लिए राज्यपाल से गुहार लगाई है. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के संज्ञान में भी इस अधिकारी की करतूतें साक्ष्य और प्रमाण के साथ लाया गया है. लेकिन यह अधिकारी सब पर भारी पड़ रहा है. लोकायुक्त को मिली शिकायत के बाद इस अधिकारी के खिलाफ गिरि़डीह के डीसी को जांच के लिए निर्देश दिया गया है. उपायुक्त ने इसकी जांच के लिए गिरीडीह नगर के उप आयुक्त को लिखित आदेश दिया है. लेकिन अंचलाधिकारी इसे भी लीपापोती करने की जुगत में लगे हुए हैं.
राज्यपाल को भेजे गए पत्र में कहा है कि गिरिडीह सदर के अंचलाधिकारी रवींद्र कुमार सिन्हा पर अपने पद का दुरुपयोग करते भू माफिया से गठजोड़ कर गलत और ऑन लाइन जमाबंदी कर अवैध ढंग से करोड़ों की हेराफेरी कर रहे हैं. इसके कई उदाहरण सार्वजनिक हो चुके हैं. झारखंड सरकार के नाम से दी नई दान की जमीन मौजा लखारी, खाता 34, जिसका रख-रखाव एवं देखभाल करने की जिम्मेवारी अंचल अधिकारी की है. इस जमीन की ऑनलाइन रसीद काटकर और भू स्वामित्व प्रमाण पत्र जारी कर जमीन माफियाओं के साथ साठ-गांठ कर जमीन को बेचने की कोशिश की है. सदर अंचल के मौजा लखारी के थाना नंबर 101 के कई भूखंडों की फर्जी जमाबंदी की गई. इसकी अवैध जमाबंदी और फर्जीवाड़ा की जांच रजिस्टर -2 से की जा सकती है. सदर अंचल के मौजा जरीडीह थाना नंबर 104 खाता 180 किस्म की गैरमजरुआ, ऑनलाइन.
जिसकी सूचि निम्नलिखित है:
1 राज्यप, झारखण्ड सरकार के नाम से दान दी गयी भूमि मौजा-लखारी,खाता-34, जिसका रख रखाव एवं देखभाल करने का जिम्मा स्वयं अंचल अधिकारी का है उस भूमि की ऑनलाइन रसीद काट कर एवं भू- स्वामित्व प्रमाण पत्र निर्गत कर माफियाओ से साथ गांठ कर बेचने का प्रयास इनके द्वारा किया गया.
2-मौजा लखारी थाना न0-101 में कई जमाबन्दी ऑनलाइन किया है, बिल्कुल अवैध और फर्जी जमाबन्दी है. सत्यता की जांच के लिए लखारी की सभी पंजी-2 का अवलोकन किया जा सकता है.
3-मौजा जरीडीह थाना न0-104, खाता 180 भूमि की किस्म गैर मजरुआ,ऑनलाइन वॉल्यूम 12 पृष्ठ संख्या 101,रैयत का नाम तबस्सुम खातुन के नाम से फर्जी जमाबन्दी चढ़ाया गया.
4-पचंबा स्थित मठ बाबा जी की कुटिया के नाम से प्रसिद्ध की करोड़ों रूपये की जमीन को भू-माफिया के साथ मिलकर बेचने का प्रयास किया जा रहा है,जिसमे तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी विजया जाधव के द्वारा जांच रिपोर्ट को अंचल अधिकारी गिरिडीह के द्वारा गायब कर दिया गया.
5-हल्का 9 मौजा पाण्डेयडीह खाता 16 में गैर मजरुआ जमीन को बकाश्त में ऑनलाइन जमाबन्दी चढ़ाकर दाखिल खारिज किया गया . जिस दाखिल खारिज में अंचल अधिकारी को राशि नही मिलती उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है जबकि दोनों एक ही जमीन और एक ही प्रकृति की जमीन अलग-अलग ब्यक्तियोँ के नाम से है,जिसे ऑनलाइन में देखा जा सकता है.
6-मौजा पाण्डेयडीह,थाना 2 न0 43,खाता 16 की जमीन से सम्बंधित जांच के लिए पूर्व में कमिटी गठित की गई. जिसकी जांच रिपोर्ट अनुमंडल पदाधिकारी के द्वारा उपायुक्त गिरीडीह को दी गयी रिपोर्ट में साफ है कि अंचल अधिकारी द्वारा छेड़छाड़ कर गलत दाखिल खारिज केस न0 अंकित कर ऑनलाइन एवं मैन्युअल में चढ़ाया गया.
7-पूर्व अंचल अधिकारी गिरिडीह के द्वारा जिस जमीन की रजिस्ट्री कार्यालय में खरीद बिक्री की जांच तक रोकी गई थी, इन्होंने अपने कार्यकाल में बिना जांच किये मोटी रकम लेकर अवर निबन्धक, गिरिडीह को रजिस्ट्री चालू करने के लिए पत्र भेज दिया.
8-अंचल अधिकारी गिरिडीह पर रसीद निर्गत करने का ऑप्शन देना अथवा लॉक खोलने के लिए मोटी रकम लेने का आरोप बार बार लग चुका है.
9-दाखिल खारिज करने में घोर अनिमियता बरतने की गंभीर शिकायतें ऊपर तक गई हैं. कई दाखिल खारिज मामले को रिजेक्ट कर पुनः पैसे लेकर स्वीकृति देने का खेल अंचल कार्यालय में खुलेआम किया जा रहा है.
10-गिरीडीह अंचल में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर्स को रिश्वत लेने के आरोप में एक साथ तीनो ऑपरेटर्स को हटा देने के मामले में भी अंचल अधिकारी,गिरिडीह की भूमिका संदिग्ध बतायी गई. क्योंकि अंचलाधिकारी के द्वारा ही कंप्यूटर का लॉक खोला जाता है और तभी ऑनलाइन रसीद काटी जा सकती है. इनके द्वारा लॉक खोलने के लिए राशि तय की जाती है जिस आरोप में तीनो ऑपरेटर्स को बिना कारण पृच्छा के हटा दिया गया पदाधिकारी के भ्रष्ट होने की सजा ऑपरेटर्स को मिली.
11-जिला स्तर पर अँचलाधिकारी गिरिडीह की जब रैयतों द्वारा शिकायत की जाने लगी वरीय पदाधिकारियों द्वारा सभी राजस्व कर्मचारियों को गिरिडीह अंचल से स्थानांतरण कर दिया जाता है. इस जिले में राजस्व विभाग में स्थानांतरण के नाम पर पैसे का खेल से भी इंकार नहीं किया जा सकता है,एक ही राजस्व कर्मचारियों को विगत 3/4 माह में कई बार स्थानांतरण किया जा रहा है. जिसमें जिले के वरीय पदाधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़ा करता है.
12-जिला दंडाधिकारी का कार्यालय, राजस्व शाखा गिरिडीह के द्वारा पत्रांक 466,467 एवं 468 दिनांक 27.04.2020,पत्रांक 485 एवं 486 दिनांक 29.04.2020,पत्रांक 490 दिनांक 30.04.2020, पत्रांक 497 दिनांक 02.05.2020,पत्रांक 533 एवं 534 दिनांक 06.05.2020, पत्रांक 553 दिनांक 08.05.2020 ,पत्रांक 555,556 एवं 557 दिनांक 09.05.2020,पत्रांक 571 दिनांक 13.05.2020 ,पत्रांक 586 दिनांक 15.05.2020 ,पत्रांक 590,591 एवं 592 दिनांक 16.05.2020,पत्रांक 621 दिनांक 22.05.2020 एवं पत्रांक 623 दिनांक 23.05 2020 इसके अलवा और भी कई स्पष्टीकरण अंचल अधिकारी सिन्हा से पूछा जा चुका है. इनमें फर्जी जमाबन्दी दर्ज करने के साथ मनमानी करने का आरोप इन पर लगा हुआ है.
13-जिला दंडाधिकारी का कार्यालय (राजस्व शाखा) के पत्रांक 570 दिनांक 13.05.2020 में अपर समाहर्ता,गिरिडीह द्वारा अंचल अधिकारी गिरिडीह की भ्रष्ट कार्यशैली की सूचना उपायुक्त,गिरिडीह के साथ संयुक्त सचिव,राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग,राँची को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजी गई है.
14-गिरिडीह अंचल के हल्का 9 के पाण्डेयडीह मौजा में खाता संख्या 6 रजिस्टर 5 के पेज नम्बर 25 में 10 एकड़ से अधिक रकबा भूमि अपने किसी चहेते व्यक्ति के नाम पर फर्जी जमाबन्दी को ऑनलाइन में अंचलाधिकारी द्वारा चढ़ाया गया . जिसके खिलाफ उपायुक्त गिरिडीह को आवेदन दिया गया एवं अंचल गिरिडीह में ग्रामीणों के द्वारा विरोध करने पर अंचलाधिकारी के द्वारा हड़बड़ी में बिना उच्च अधिकारी के आदेश के जमाबन्दी को ऑनलाइन से हटाया गया.
आश्चर्य है की जिला से लेकर राज्य स्तर पर इतनी सारी शिकायत होने के बावजूद जिसमें विभिन्न अखबारों में भी प्रमुखता से प्रकाशित की गई. फिर भी प्रशासन और शासन की ओर से इस अधिकारी के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. अंचल अधिकारी रविन्द्र कुमार सिन्हा की भ्रष्ट कार्यशैली और मनमानी रवैये को उच्च पदस्थ पदाधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है.