– बच्चों के लिए जरूरी है न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन, रोग प्रतिरोध्क क्षमता का होता है विकास
– जिले में पूर्ण टीकाकरण हेतु साप्ताहिक बैठक
– कोविड 19 सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए बच्चों को लगवाएं टीका
किशनगंज: पिछले दो तीन दिनों से जिले में ठंड की आहट दिखाई पड़ने लगी है. अमूमन अक्टूबर माह के अंत से जिले में सर्दियों का मौसम शुरू हो जाता है. लेकिन, इस बीच अधिकतम व न्यूनतम तापमान में काफी अंतर रहता है.
ऐसे में शिशुओं, बच्चों व बुजुर्गों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. वहीं, सर्दियों के साथ संक्रमित बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. जिनमें से एक निमोनिया भी है. सेव द चिल्ड्रेन के एक वैश्विक अध्ययन के अनुसार मलेरिया, दस्त एवं खसरा को मिलाकर होने वाली बच्चों की कुल मौत से अधिक निमोनिया की वजह से बच्चों की मौत हो जाती है. ऐसे में सर्दियों के आगमन के साथ ही, बच्चों की उचित देखभाल के साथ-साथ सम्पूर्ण टीकाकरण बहुत जरूरी है.
निमोनिया को टीकाकरण कर रोका जा सकता है :
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. रफत हुसैन ने बताया निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है. बैक्टीरिया, वायरस या फंगल की वजह से फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है. आम तौर पर बुखार या जुकाम होने के बाद निमोनिया होता है और यह 10 दिन में ठीक हो जाता है. लेकिन पांच साल से छोटे बच्चों व 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और इसलिए निमोनिया का असर जल्द होता है.
बैक्टीरिया से बच्चों को होने वाले जानलेवा निमोनिया को टीकाकरण कर रोका जा सकता है. बच्चों को न्यूमोकोकल कॉन्जुंगेट वैक्सीनन यानी पीसीवी का टीका दो माह, चार माह, छह माह, 12 माह और 15 माह पर लगाने होते हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल में आवश्यक टीकाकरण की सुविधा मौजूद है तथा जिले में सम्पूर्ण टीकाकरण हेतु ए एन एम के द्वारा संपूर्ण टीकाकरण का कार्यक्रम आंगनवाड़ी केंद्रों में भी किया जाता है.
सम्पूर्ण टीकाकरण निमोनिया को करेगा दूर :
डॉ. रफत हुसैन ने बताया बच्चे को निमोनिया से बचाने के लिए संपूर्ण टीकाकरण जरूरी है. न्यूमोकोकल टीका (पीसीवी) निमोनिया, सेप्टिसीमिया, मैनिंजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से बचाव करता है.
ये हैं जरूरी टीके:
•जन्म होते ही – ओरल पोलियो, हेपेटाइटिस बी, बीसीजी
•डेढ़ महीने बाद – ओरल पोलियो-1, पेंटावेलेंट-1, एफआईपीवी-1, पीसीवी-1, रोटा-1
•ढाई महीने बाद – ओरल पोलियो-2, पेंटावेलेंट-2, रोटा-2
- साढ़े तीन महीने बाद – ओरल पोलियो-3, पेंटावेलेंट-3, एफआईपीवी-2, रोटा-3, पीसीवी-2
- नौ से 12 माह में – मीजल्स 1, मीजल्स रुबेला 1, जेई 1, पीसीवी-बूस्टर, विटामिन ए
16 से 24 माह में:
- मीजल्स 2, मीजल्स रुबेला 2, जेई 2, बूस्टर डीपीटी, पोलियो बूस्टर, जेई 2
- ये भी हैं जरूरी:
- 5 से 6 साल में – डीपीटी बूस्टर 2
- 10 साल में – टिटनेस
- 15 साल में – टिटनेस
- गर्भवती महिला को – टिटनेस 1 या टिटनेस बूस्टर
साथ ही बच्चा छह महीने से कम का है, तो 6 महीने तक नियमित रूप से केवल स्तनपान कराएं. स्तनपान प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में जरूरी है.
जिले में पूर्ण टीकाकरण हेतु साप्ताहिक बैठक
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ रफत ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग पूर्ण टीकाकरण के शत -प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कृत संकल्पित है. इसी क्रम में टीकाकरण का गुणवत्तापूर्ण आच्छादन को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक सप्ताह सोमवार को जिला स्तर पर सप्ताहिक समीक्षा बैठक सिविल सर्जन की अध्यक्षता में होती है.
वहीं प्रत्येक शुक्रवार को प्रखंड स्तरीय समीक्षा बैठक चिकित्सा पदाधिकारी की अध्यक्षता में होगी. इसको लेकर अपर निदेशक (प्रतिरक्षण) सह राज्य प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ नरेंद्र कुमार सिन्हा ने पत्र जारी कर सभी सिविल सर्जन व जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया है.
जारी पत्र में बताया गया है कि प्रखंड व शहरी क्षेत्र से प्राप्त सप्ताहिक समीक्षा रिपोर्ट एवं जिला स्तर पदाधिकारी एवं सहयोगी संस्थानों के प्रतिनिधि द्वारा सत्र परीक्षण के आधार पर जिलास्तरीय साप्ताहिक समीक्षा की बैठक की जाएगी.
जिला स्तरीय एवं प्रखंड स्तरीय सप्ताहिक समीक्षा बैठक के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति से उपलब्ध कराए गए प्रपत्र एवं राज्य स्वास्थ्य समिति के पोर्टल पर संशोधन किया गया है, जिसे पत्र के साथ भी भेजा गया है.
साथ ही जारी पत्र में या निर्देश दिया गया है कि जिले में पूर्ण टीकाकरण के शत-प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रत्येक सोमवार को जिला स्तर पर सिविल सर्जन की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक की जाएगी. इसमें एसीएमओ, डीपीएम डीआईओ, डीसीएम एसएमसी, एसएमओ वीसीसीएम समेत अन्य सहयोगी संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. बैठक के बाद इसकी रिपोर्ट राज्य स्वास्थ समिति के पोर्टल पर अपलोड की जाएगी.
कोरोनाकाल में इन बातों का रखें ध्यान :
डॉ. रफत हुसैन ने बताया कोरोना काल में बच्चों को जहां निमोनिया से बचाना जरूरी है, ठीक उसी प्रकार कोरोना संक्रमण से बचाव करना भी अभिभावकों की जिम्मेदारी है. भीड़-भाड़ वाली जगह से भी बच्चों को दूर रखें क्योंकि ऐसी जगहों पर संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है. साथ ही संक्रमण से बचाने के लिए कोविड-19 के इन नियमों का पालन करना जरूरी है :
– अस्पताल जाने के लिए बिना मास्क के घर से बाहर न निकले
– अस्पताल में टीका दिलाते समय शारीरिक दूरी का पालन करें
– टीका दिलाते समय बच्चों को अपने गोद में रखें
– छोटे बच्चों को नियमित रूप से समय समय पर हाथ धोने के लिए प्रेरित करें
– घर में बाहर से आने वाले लोगों से बच्चों को दूर रखें