BNN DESK: विश्व भर में आज के दिन को ‘विकलांगता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. दरअसल, पिछले 27 सालों से इस दिन को विकलांगता दिवस की पहचान मिली हुई है. विकलांगता का अर्थ ये बिल्कुल नहीं होता कि वो किसी तरीके से कमजोर है. आम लोगों की तुलना उनमें अधिक आत्मबल और इच्छा शक्ति होती है.
विकलांगता के इतिहास की अगर बात करें तो राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय स्तर पर विकलांगों का विकास हो, उन्हें उनके हक का मिलें, उनके साथ किसी प्रकार का भेदभाव ना हो इसलिए संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने सन्न 1981 में विकलांगों का अंतराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया था. जिसके बाद लगातार इससे जुड़ी कई योजनाएं सामने आयी. लेकिन साल 1992 से 3 दिसंबर को हर वर्ष विश्व विकलांग दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.
हर साल इस दिन संयुक्त राष्ट्र के जरिए एक विषय तय किया जाता रहा है. लेकिन इस साल कोरोना के चलते विषय कोरोना से जुड़ा हुआ है. इस वर्ष का विषय बेहतर निर्माण: पोस्ट कोरोना के लिए विकलांग लोगों के साथ, समावेशी व संधारणीय विश्व का निर्माण” है. संयुक्त राष्ट्र ने समाज में विकलांगों के प्रति लोगों में जागरुकता लाना, उनके बराबरी के अवसर की बात करना और सामान्य लोगों की तरह उनके साथ व्यव्हार करने पर अपना पहला विषय दिया था.
आइये अब जानते हैं आखिर क्यों मनाया जाता है ये दिन
अकसर देखा गया है सामान्य लोग असामान्य लोगों को मजाक बनाते है. उनको परेशान कर उनके मनोबल को तोड़ने की कोशिश करते हैं. लोगों में विकलांगता के प्रति जागरुकता होना जरूरी है. लोगों को उनकी खूबियों के बारे में पता होना चाहिए. ईश्वर की सभी संतानों की तरह विकलांगों को भी देखा जाना चाहिए इसलिए इस दिन को मनाना बेहद जरूरी हो जाता है.
जानते हैं कैसे मनाया जाता है ये दिवस
विश्व भर में अलग-अलग तरीके से इस दिन को मनाया जाता रहा है. भारत में कला-प्रदर्शनियों के जरिये इस दिन को आयोजित किया जाता है. दिव्यांग कलाकृतियों को बना कर पेश करते हैं. साथ ही भाषण प्रतियोगिता भी होती है जिसमें वो भाग लेकर अपने विचार रखते हैं. इस साल की बात करें तो कोरोना के चलते ऑनलाइन माध्यम से इस दिवस को मनाया जाएगा.