नई दिल्ली:- कोरोना वायरस महामारी से आम जनजीवन पर प्रतिकूल असर पड़ा है. वहीं, पर्यावरण और नभमंडल पर अनुकूल असर पड़ा है. इससे हवा शुद्ध हो गई है. नदियों का पानी साफ़ हो गया है. वहीं, वायुमंडल के प्रदूषण मुक्त होने के चलते आकाश में होने वाली सभी घटनाओं को पृथ्वी से साफ़ देखा जा सकता है. इसका प्रत्यक्ष प्रमाण 13 और 14 दिसंबर की रात को देखने को मिलेगा. जब, आकाश में उल्का वर्षा होगी, जिसे अंग्रेजी में Geminid Meteor Shower कहा जाता है.
बता दें कि उल्का पिंड चमकदार रोशनी की जगमगाती धारियां होती हैं, जिन्हें अक्सर रात में आसमान में देखा जा सकता है. इन्हें ‘शूटिंग स्टार’ भी कहा जाता है. उन्होंने बताया कि वास्तव में, जब धूल के कण जितनी छोटी एक चट्टानी वस्तु बेहद तेज गति से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती है, तो घर्षण के कारण प्रकाश की खूबसूरत धारी बनती है.
साल की एक निश्चित अवधि में आकाश की निश्चित दिशा से आते एक नहीं, बल्कि कई उल्का पिंड देखने को मिलते हैं, जिन्हें उल्का पिंड बौछार कहा जाता है.