पंकज सिन्हा,
बालूमाथ: एक तरफ सरकार पिने का पानी के लिये जगह जगह जल मीनार, चापाकल से लेकर नई सड़क तक किं योजना चला रही है साथ ही मनरेगा योजना के तहत ग्रामीणों को रोजगार दे रही है जिससे उनको मजदूरी मिले पर अभी तक यह योजना गांव तक नही पहुंच पा रही है. इसका उदाहरण है बालूमाथ प्रखण्ड के चैताग पंचायत के पिपराटोला स्थित पाहन टोला में जहां सरकार की योजना पहुंच नहीं पा रही है. यहाँ के ग्रामीणों ने बताया कि पीने का पानी की काफी दिक्कत हो रही है, इस टोला में न कोई नया कुंआ है, न जलमीनार है, मात्र एक पुराना कुंआ है जो वर्सो पुराना है और काफी जर्जर स्थिति में है जो दुर्घटना को आमंत्रण दे रही है, और न ही आजतक इसकी सरकारी योजना से मरम्मती हुई है ग्रामीण किसी तरह जान हथेली पर रखकर इस कुआ से पानी पीते है. साथ ही इसमें पानी भी गंदा है जो पीने लायक भी नही है, पर किसी तरह तो ग्रामीण पानी तो पी लेते है वही पानी कूआ का सूख जाता है तो लोगो को नदी का पानी पीना पड़ता है और नदी भी सुख जाता है तो ग्रामीण गांव से 2 किलोमीटर दूर जा कर पानी ला कर पीने को माजबुर हो जा जाते है. वहीं ग्रामीणों ने कहा कि इस गांव तक पहुचने के लिये सड़क भी नहीं है.
पर यहा कि मूल समस्या पानी है. इस गांव में कुंआ नही रहने के कारण यहा के ग्रामीण जो खेती पर निर्भर है इनका मुख्य पेसा खेती है जिनसे उनके घर मे खाने को अनाज हो जाता है और इसी खेती कर के अपने बच्चों की पढ़ाई भी करवाते है साथ ही जो सिचाई की ब्यवस्था नही रहने के कारण यहा के ग्रामीण कुछ नही कर पाते है क्यो की सिंचाई का साधन ही नही है। अगर सरकार के द्धारा यहा की जनता को कुआ, तालाब मिल जाता तो यहा के ग्रामीण जनता को खेती करने मे सुविधा होती. पर यहा की ग्रामीणों को न पीने की पानी मिल रही है और न ही सिचाई का साधन, ग्रामीण किसी तरह अपना जीवन यापन कर रहे है. अब ग्रामीणों को आस है कि सरकार जल्द ही इस गांव को पीने और सिचाई के लिए पानी की ब्यवस्था कर दे जिससे ग्रामीण इस समस्या से निकल सके.