नई दिल्ली: पाकिस्तान ये जानते हुए भी की वो भारत से मुकाबले में सक्षम नहीं है, इसके बाउजूद भी पकिस्तान के बैखलाहट को साफ़ देखा जा सकता है. पाकिस्तान ने बीते गुरुवार को परमाणु क्षमता वाली कम दूरी की मिसाइल गजनवी का परीक्षण किया है. ये महज उसकी कश्मीर पर बौखलाहट का नतीजा था. लेकिन भारत को इससे कोई दिक्कत नहीं है. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े कुछ अधिकारियों का कहना है कि हम जैसे को तैसा में लिप्त नहीं होंगे, ये महज कश्मीर पर पाकिस्तान की बैखलाहट है.
हालांकि इन अधिकारियों, विदेश मंत्रालय के अधिकारी और वैज्ञानिकों का कहना है कि ये परीक्षण मिसाइल क्षमता के लिए पाकिस्तान की चीन पर निर्भरता को दर्शाता है. गजनवी की डिलीवरी प्रणाली चीन की एम-11 मिसाइल की डेरिवेटिव है. उन्होंने कहा कि भारत की मिसाइल क्षमताएं पाकिस्तान से कहीं अधिक हैं.
एम-11 मिसाइलों को 1987 में यू-235 परमाणु उपकरण के ब्लू-प्रिंट के साथ पाकिस्तान ने चीन से लिया था. उत्तर कोरिया ने भी पाकिस्तान के मिसाइल विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
भारत ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के खंड दो और तीन को खत्म कर दिया था. साथ ही राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेश- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया. जिसके बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. पाकिस्तान ने इस मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की भी खूब कोशिशें की लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ी.
भारतीय अधिकारियों ने कहा कि स्थानीय मिसाइल डेवलपर्स और सामरिक बल कमान भारत की क्षमताओं के प्रति आश्वस्त हैं. और रावलपिंडी के साथ रेस्लिंग मैच का कोई इरादा नहीं है. पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र में लताड़ सुनने के बाद भी नहीं मान रहा और परमाणु युद्ध की धमकी दे रहा है.
अधिकारियों ने कहा कि भारत की मिसाइल क्षमता काफी अधिक है. अग्नि-पांच मिसाइल की क्षमता पांच हजार किमी है. शिप सबमरीन बैलिस्टिक न्यूक्लियर अरिहंत (पनडुब्बी) में 700 किमी की मारक क्षमता वाली मिसाइल है. रक्षा अनुसंधान विकास संगठन ने तीन हजार किमी की रेंज वाली पनडुब्बी से दागी गई के-4 मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया है. विशेषज्ञों का कहना है कि अग्नि पांच मिसाइल का कोई मुकाबला नहीं है.