जन्म के छह माह तक मां का दूध ही बच्चे के लिए सम्पूर्ण आहार माना जाता है। मां का दूध न केवल पचने में आसान होता है, बल्कि इससे नवजात की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। लेकिन 6 माह के बाद सिर्फ स्तनपान से बच्चे के आवश्यक पोषण की पूर्ति नहीं हो पाती है। इसके बाद बच्चे के भोजन में अद्र्धठोस व पौष्टिक आहार को शामिल करना चाहिए।
यह जानकारी ऊपरी आहार के संबंध में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा जारी आहार निर्देशिका में दिये गए हैं। यह निर्देशिका 6 माह पूर्ण कर चुके बच्चों के ऊपरी आहार की शुरुआत करने के उद्देश्य से बनाई गयी है। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की प्रमुख सचिव मोनिका एस गर्ग द्वारा निर्देशित किया गया है कि माताओं व अभिभावकों को इस पुस्तिका को दिखाते हुए संदेश देने हैं।
निर्देशन में बताया गया है कि बच्चों को समय से ऊपरी आहार की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि इस उम्र में बच्चे की लंबाई और वजन बढ़ता है। बच्चों की हड्डियों की लंबाई बढ़ती है, शरीर में मांस बढ़ता है और शरीर के सभी अंदरूनी अंग भी बढ़ते हैं। बच्चे को विकास के लिए बहुत सारे कार्बोहाइड्रेट, फैट, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल आदि की जरूरत होती है और यह जरूरत उसे ऊपरी आहार से ही मिल सकती है।