जयपुर: राजस्थान मानवाधिकार आयोग ने सिफारिश की है कि राज्य सरकार लिव-इन रिलेशनशिप पर एक कानून बनाए, जिसमें संबंधों के बारे में नियम और शर्तें स्पष्ट रूप से बताई गई हों। आयोग ने बुधवार को कहा कि महिलाएं लिव-इन रिलेशनशिप में सबसे ज्यादा पीड़ित होती हैं, क्योंकि वे एक गरिमापूर्ण और सम्मानजनक जीवन जीने में विफल रहती हैं। आयोग ने कहा कि ऐसे रिश्ते से पैदा हुए बच्चों का कोई सुरक्षित भविष्य नहीं होता।
राज्य मानवाधिकार आयोग की पीठ में शामिल जस्टिस प्रकाश टाटिया और जस्टिस महेश चंद्र शर्मा ने उक्त चिंताए व्यक्त कीं। पीठ ने गृह विभाग के मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव को एक पत्र भेजा, जिसमें राज्य सरकार से इस संबंध में एक कानून लाने का आग्रह किया गया है।
आयोग ने राज्य सरकार से इस तरह के संबंधों के लिए एक व्यापक कानून बनाने की सिफारिश की, जिसमें ऐसे संबंधों के लिए जोड़े की योग्यता के बारे में स्पष्टता सुनिश्चित करने की बात कही गई।
साथ ही सिफारिश की गई कि इस तरह के रिश्ते किस तरह से खत्म किए जा सकते हैं, इस पर भी कानून को प्रकाश डालना चाहिए। आयोग ने भी सुझाव दिया कि संबंधों को खत्म करने से पहले काउंसलिंग को अनिवार्य किया जाना चाहिए।