वैदिककाल मे भारतवर्ष के कीकट प्रदेश जिसे मगध के नाम से अब जाना जाता है, गयासुर नामक एक दानव रहता था. वह भगवान विष्णु का उपासक थ. गयासुर की काया भीमकाय थ. देवता गयासुर से बहुत भयभीत रहते क्योंकि वह उनको अकारण परेशान किया करता था. देवता उससे मुक्ति चाहते थे
इसलिए एक विराट महायज्ञ का प्रयोजन करना चाहते थे.
अब देवगण इस महायज्ञ के लिए उचित पुरोहितों की खोज में लग गये परंतु उनको निराशा हाथ लगी.सब देवता नारदमुनि के पास गये, जिन्होने बताया कि ऐसे पुरोहित केवल शाक्य द्वीप (प्राचीन ईरान) से ही लाए जा सकते हैं.
शाक्यद्वीप यानी प्राचीन ईरान देश से सात पुजारियों को महायज्ञ के लिए ‘गया’ आमंत्रित किया गया था. ईरान या
शाक्यद्वीप के ये पुरोहित परम सूर्य उपासक होते थे. वे ‘मग ब्राह्मण’ के नाम से भी जाने जाते थे (सन्दर्भ, ‘विष्णुपुराण’ 2, 4, 6, 69, 71). प्राचीन इरना भाषा मे ‘मग’ का अर्थ अग्नि पिंड, अर्थात सूर्य, होता है. अर्थात सूर्य पूजक
‘मगध’ शब्द भी मग से ही उद्धरित है.
इसके उपरांत, सात सूर्य उपासक पुरोहित शाक्य द्वीप से गया क्षेत्र में लाए गये और उन्होने गयासुर के हृदयस्थल पर यज्ञ करके देवताओं को उससे मुक्ति दिलाई. इन पुरोहितों को ‘शाक्दीपी ब्राह्मण’ के नाम से जाना जाता है (सन्दर्भ, ‘महाभारत’, ‘भीष्मपर्व’, 12,33/ ‘भविष्य पुराण’, ‘ब्रह्मपर्व’ 139, 142). इनके वंशज आज भी मगध क्षेत्र में निवास करते हैं. महायज्ञ के बाद हिंदू धर्म में गया पितरों के पिंडदान के लिए प्रचलित हुआ
यह सात ब्राह्मण गया और आसपास के क्षेत्रों में बस गये. 1937-38 में गया जिले के गोविंदपुर में पाए गये आदेशपत्र में भी इनका वर्णन है शाक्य द्वीप से आए ब्राह्मणों का अनुसरण करते हुए, मगध क्षेत्र के निवासियों ने भी कालांतर में सूर्यदेव की औपचारिक उपासना करनी शुरू कर दी.
सूर्य ‘प्रत्यक्ष देव’ हैं और ‘सूर्य षष्ठी’ का वैज्ञानिक महत्व है
तथापि, छठ महापर्व का उद्भव मगध(गया, पटना प्रमंडल) क्षेत्र में ही हुआ और कालांतर में यह पर्व भोजपुर,मिथिला अंग आदि स्थानों में भी मनाया जाने लगा. शाक्दीपी ब्राह्मणों ने मगध क्षेत्र के सात स्थानों पर सूर्य मंदिरों की स्थापना की, जैसे कि देव, उलार, ओंगारी, गया और पंडारक. देव का छठ सबसे पवित्र माना गया है. यह औरंगाबाद जिले मे स्थित है.
गया धाम – जो हिंदुओं का एकमात्र पित्रतीर्थ है – के पंडे भी अपने आपको अग्निहोत्री ब्राह्मण कहते हैं. अग्निहोत्री का सीधा सन्दर्भ सूर्य से ही है.
ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण के पुत्र सांब और राजा प्रियव्रत ने भी मगध क्षेत्र में छठ व्रत किया और लाभ पाया.
अशोक दुबे