मकर संक्रांति 2022: मकर संक्रांति का पर्व आज मनाया जा रहा है. ज के दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं यही मकर संक्रांति कहलाता है. आज के दिन स्नान कर सूर्य देव की पूजा करने का विधान है. उसके बाद दान दिया जाता है. फिर पूजा के बाद तिल के लडडू, मूंगफली, लाई, रेवड़ी, खिचड़ी और दही-चूड़ा खाने की परंपरा है.
इस बार मकर संक्रांति पर तारीखों को लेकर स्पष्टता नहीं थी. हालांकि 14 जनवरी और 15 जनवरी दोनों ही दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है.
मकर संक्रांति 2022 स्नान-दान मुहूर्त
दृक पंचांग के अनुसार, आज 14 जनवरी को मकर संक्रांति का समय मकर दोपहर 02:43 बजे है.
इस समय पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा. इसका पुण्य काल दोपहर 02:43 बजे से शाम 05:45 बजे तक है.
वहीं मकर संक्रांति का महा पुण्य काल दोपहर 02:43 बजे से शाम 04:28 बजे तक है.
मकर संक्रांति को स्नान और दान के लिए मुहूर्त 6 घंटा पूर्व से प्रारंभ हो जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 6 घंटा पूर्व पुण्य काल मान्य होता है. ऐसे में आप सुबह 08:43 से मकर संक्रांति का स्नान और दान कर सकते हैं. इस समय में रोहिणी नक्षत्र और शुक्ल योग बना हुआ है. ये दोनों ही दान पुण्य के लिए ठीक माने जाते हैं.
मकर संक्रांति पर क्या करें?
इस दिन प्रातःकाल स्नान कर लोटे में लाल फूल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें. सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें. श्रीमद्भागवद के एक अध्याय का पाठ करें या गीता का पाठ करें. नए अन्न, कम्बल, तिल और घी का दान करें. भोजन में नए अन्न की खिचड़ी बनाएं. भोजन भगवान को समर्पित करके प्रसाद रूप से ग्रहण करें. संध्या काल में अन्न का सेवन न करें. इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को बर्तन समेत तिल का दान करने से शनि से जुड़ी हर पीड़ा से मुक्ति मिलती है.
मकर संक्रांति का महत्व?
मकर संक्राति के पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है. मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्य की उपासना करने का विशेष महत्त्व है. ज्योतिष विज्ञान ये मानता है कि मकर संक्रांति के दिन किया गया दान सौ गुना फल देता है. मकर संक्रांति के दिन घी-तिल-कंबल-खिचड़ी दान का खास महत्व है.
मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन तिल, गुड़ और खिचड़ी के दान से किस्मत बदलती है. खुशी और समृद्धि के प्रतीक मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल में दान देना, स्नान करना या श्राद्ध कार्य करना शुभ माना जाता है. शास्त्रों में मकर संक्रांति पर गंगा स्नान की विशेष महिमा बताई गई है.
इस दिन शनि देव के लिए प्रकाश का दान करना भी बहुत शुभ होता है. पंजाब, यूपी, बिहार और तमिलनाडु में यह समय नई फसल काटने का होता है. इसलिए किसान इस दिन को आभार दिवस के रूप में भी मनाते हैं. इस दिन तिल और गुड़ की बनी मिठाई बांटी जाती है. इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की भी परंपरा है.
खिचड़ी के अलावा तिल का भी महत्व
मकर संक्रांति के दिन सिर्फ खिचड़ी ही नहीं, तिल से जुड़े दान और प्रयोग भी लाभ देते हैं. दरअसल, ये मौसम में परिवर्तन का समय होता है. ऐसे में तिल का प्रयोग विशेष हो जाता है. साथ ही मकर संक्रांति सूर्य और शनि से लाभ लेने का भी खास दिन होता है. मकर संक्रांति के दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं. शास्त्रों में उत्तरायण के समय को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा गया है