रिम्स के ट्यूटर व शिक्षकों के पद पर नियुक्त अस्थायी चिकित्सकों के सेवा स्थायी करने की याचिका को झारखण्ड हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से ट्यूटर के पद पर स्थायी करने की मांग करना न्यायोचित नहीं है, क्योंकि इस पद पर अन्य योग्य लोगों को मौका नहीं मिल पायेगा. ये ट्यूटर तीन वर्षों के लिए ही अस्थायी सरकारी सेवक थे और उनके नियुक्ति पत्र में भी इसका उल्लेख था. रिम्स की डॉ प्रियंका कुमारी, डॉ अनुभूति, डॉ अंजनी कुमार शुक्ला, डॉ नीरव दत्ता, डॉ तान्या खेतान, डॉ श्वेता टेकरीवाल, डॉ विशाल, डॉ प्रतीक, डॉ राहुल कुमार सिंह, डॉ ऋषण सिंह, डॉ मनीष गौतम, डॉ भावना गुप्ता, डॉ रुचिका गुप्ता, डॉ रोहित, डॉ वरुण देव कुमार, डॉ तपन कुमार मंडल, डॉ स्पर्श भास्कर श्रीवास्तव, डॉ प्रियरंजन और डॉ सुगंधा वर्मा ने याचिका दायर की थी.
अदालत ने कहा कि हाउस सर्जन का पद अब रिम्स में ट्यूटर, रेसीडेंट चिकित्सक और वरीय रेसीडेंट्स के नाम से परिभाषित हो गया है. मेडिकल काउंसिल के नियमों के तहत ही नियुक्तियां की गयीं. कोर्ट ने कहा कि रणधीर कुमार बनाम झारखंड सरकार एवं अन्य मामले में यह आदेश दिया गया था कि सीनियर रेसीडेंट का पद स्थायी नहीं हो सकता है, क्योंकि वे सहायक प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नत नहीं हो सकते हैं.