प्रचलित नाम- गुलखैरो
प्रयोज्य अंग-पत्र, बीज एवं पुष्प ।
स्वरूप- चिरस्थायी विशाल क्षुप, 70-80 से. मी. ऊँचा
पुष्प बड़े जो लम्बे मजबूत पुष्प विन्यास दंड पर कलगी में गुँथे हुए होते हैं।
स्वाद- शेषमल ।
रासायनिक संगठन इसके बीज में एल्कलॉयड्स, सैपोनिन्स, रेसीन्स, उड़नशील तेल एवं कैल्शियम, श्लेष्मल, स्टार्च तथा चूने के फोस्फेट्स पाये जाते हैं ।
गुण- विस्थापक, पाचन, मृदुरेचक, व्रणरोपण, शीतल, स्नेहन, कासहर, वेदनास्थापन ।
उपयोग- वृक्क अश्मरी, संधिशोथ, गण्डमाल, उरोग्रह, न्यूमोनिया, श्वसनी शोथ, प्रतिश्याय एवं खांसी में लाभकारी। इसके पत्रों एवं बीज को पीसकर शोथ ग्रस्त भाग पर बांधने से लाभ।
इसके मूल का शरबत खाँसी, आंत्रशोथ, मूत्राशयशोथ, दाह को शांत करता है। इसके अतिरिक्त
आंत में से रक्तस्राव हो तो इसके मूल के शरबत से लाभ होता है।
बच्चों की खाँसी के लिये मूल का क्वाथ अतिलाभकारी। इसके पुष्पों का शरबत तथा में लाभकारी।
भारत में इस वनौषधि का उपयोग वैद्यों द्वारा कफ का क्वाथ बनाने में किया जाता है ।
मात्रा- बीज चूर्ण – 5-10 ग्राम ।
Althaea rosea Cav. Linn. MALVACEAE
ENGLISH NAME:- Marsh Mallow/Holly hock. Hindi – Khatmi PARTS-USED:- Leaves and Seeds, Flowers.
DESCRIPTION:- A large perennial shrub, about 70 to 80 cms. or more leaves long petioled, ovate cordate 5-7 lobed high, Flowers large on long and stout raceme, purple, rose, yellow or white
TASTE:-Mucilaginous.
CHEMICAL CONSTITUENTS- Seeds Cantaion: Alkaloids, Saponins, Resins, Volatile oils and Calcium, Mucilage, Starch, Phosphate of lime.
ACTIONS:-Resolvent, Concoctive, Laxative, Cicatrizant.
USED IN:-Renal calculus, Arthritis, Scrofula, Pleurisy, Pneumonia and Bronchitis, Cold and Cough.
Seeds Powder 5-10 gms.