आशका पटेल,
रांची: एक दिन बाद ही दीपों का पर्व दीपावली है. सभी घरों में मिट्टी के दीये की खरीददारी हो रही है. मिट्टी के दीये से ही रोशनी होगी और मां लक्ष्मी सभी के घरों पर पधारेंगी. पर मिट्टी के दीये बनाने वाले कुम्हारों की सारी उम्मीदों पर मौसम हावी हो गया है. कुम्हार करें, तो क्या करें.
वहीं एक कुम्हार ने कहा कि चाक पर धड़ा-धड़ मिट्टी रख कर हजारों दीये तैयार किये. मौसम ने ऐसा धोखा दिया कि उसको सूखाने के लिए दूसरी व्यवस्था करनी पड़ रही है. मिट्टी के दीये को सूखने के लिए भी तो समय चाहिए. ऐसा कहां होता है.
तीन दिनों से रांची में बारिश हो रही है. बूटी मोड़, जगन्नाथपुर, हरमू और किशोरगंज के कुम्हार अपनी खाली चाक को ही घूमा रहे हैं. पूछने पर फुलमनिया ने कहा कि बाबू ई पानी में कैईसे सूखी दीया. हमर मन कर कमर टूईट जा हे. अब इके पका कर बाजार ठीना पहुंचायेक भी तो हे. दो दिन बाईच हय. का करब, कैसे करब. ऊपर से ई पानी तो हदे कईर दे हे. बीते साल कर दीया भी तो नई है, जो मार्केट में पहुंईच जाई. कुम्हारों की नींद वैसे भी उड़ी हुई है, क्योंकि पहले दशहरा और अब दीपावली में भी बारिश ने सारा मजा किरकिरा कर दिया है. बड़ा दीया बाजार में दो रुपये पीस बिक रहा है, तो छोटा दीया एक रुपये में एक.