आशका पटेल,
रांची: भारतीय संस्कृति में जहां हमारे पूर्वज दीपावली पर्व पर मिट्टी से बने दिये जलाकर घरों को रोशन करते थे, वहीं आज हमलोग अपने भारतीय पर्व की संस्कृति को भूलते जा रहे हैं. दीपावली भारत के खास त्योहारों में से एक है. दीपावली के मौके पर रोशनी की बात नहीं की तो फिर दीपावली शब्द अधूरा रह जायेगा. घर को जगमगाने के लिए पहले मिट्टी के दीये में सरसों का तेल और देशी घी का प्रयोग किया जाता था. लेकिन अब दीयों की जगह कैंडिल और चाइनीज झालर ने ले ली है. कैंडिल और चाइनीज झालर से घरों को जगमगाने का काम खूब किया जाता है. आज के इस दौर में हर कोई मिट्टी की दिये को छोड़कर चाइनीज झालरों से घर को सजाना ज्यादा पसंद कर रहे है.
दिये को जलाने में मेहनत काफी है फिर भी कुछ समय तक ही दिये जलते है जिस वजह से लोग दिये से ज्यादा चाइनीज झालरों से दीपावली में सजाना ज्यादा पसंद करते है. शहर के अपर बाजार, डोरंडा , डेली मार्केट में चाइनीज झालरों की बिक्री देखी जा रही है. हैंगिंग लाइट- 1000 रुपये से 10 हजार रुपये,
आरजीबी झालर लाइट – 800 रुपये, स्टील लाइट- 200 रुपये और एलईडी झालर लाइट- 90 रुपये तक उपलब्ध हैं. बाजार में इस बार एलइडी की लड़ियां भी मौजूद हैं. इलेक्ट्रिक दुकान के मालिक विनीत गुप्ता ने बताया कि इस बार घर सजाने के लिए लोग अभी से ही बिजली के झालरों की खरीदारी कर रहे हैं. भारतीय सजावटी लाइट के साथ ही चाइनीज झालरों की भी काफी मांग है. उन्होंने कहा लोग स्टिल झालर लाइट लेना ज्यादा पसंद करते रहे हैं, अधिकांश लोग ऐसे होते हैं जिनको अपने पूरे घरों को केवल झालर लाइट से ही सजाना होता है और इसका खर्च केवल एक हजार से दो हजार तक होता है.