2019 के अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किए गए भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की. बनर्जी और मोदी के बीच अर्थव्यवस्था, रोजगार और जीडीपी जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई. हाल ही में भारतीय अर्थव्यवस्था पर सवाल उठाने वाले बनर्जी के साथ अपनी मुलाकात के बारे में पीएम मोदी ने खुद जानकारी दी है. पीएम मोदी ने मंगलवार को ट्वीट किया, अभिजीत बनर्जी के साथ बैठक शानदार रही. मानव सशक्तिकरण के प्रति उनका जुनून काबिले तारीफ है. भारत को उनकी उपलब्धियों पर गर्व है. भविष्य की कोशिशों के लिए बनर्जी को शुभकामनाएं.
पीएम मोदी के साथ मुलाकात को अभिजीत बनर्जी ने भी अच्छा अनुभव बताया. बनर्जी ने समय देने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद भी दिया. बनर्जी ने बताया कि पीएम मोदी ने भारत के बारे में अपनी सोच, नजरिया, शासन व्यवस्था और सुधारों के पीछे छिपी अपनी सोच को साझा किया. अभिजीत बनर्जी के अनुसार पीएम मोदी भारत के जमीनी हालात सुधारने के लिए लगातार सुधार कर रहे हैं.
बता दें कि अभिजीत बनर्जी ने हाल ही में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर कड़ी टिप्पणी की थी. बनर्जी ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था नीचे जा रही है और निकट भविष्य में इसमें और गिरावट आएगी. श्री बनर्जी के इस बयान पर केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने उन्हें वामपंथी विचारधारा का करार दिया था. जिसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी पीयूष गोयल पर निशाना साधा था. राहुल गांधी ने केन्द्रीय मंत्री को नफरत में अंधा व्यक्ति करार दिया था.
कौन हैं अभिजीत बनर्जी
स्वीडिश एकेडमी ने इस बार अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और अमेरिका के माइकल क्रेमर को देने का ऐलान किया है. अभिजीत बनर्जी मूल रूप से कोलकाता के रहने वाले हैं. यहीं 1961 में उनका जन्म हुआ और ग्रेजुएट तक की पढ़ाई उन्होंने भारत में ही की है. अभिजीत बनर्जी के माता-पिता अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे हैं. बनर्जी ने 1988 में अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की. उन्होंने 1988 में प्रिंस्टन विश्वविद्यालय में पढ़ाना शुरू किया. 1992 में उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भी पढ़ाया. इसके बाद 1993 में उन्होंने एमआईटी में पढ़ाना और शोध कार्य शुरू किया जहां पर वह अभी तक अध्यापन और रिसर्च का काम कर रहे हैं. पढ़ाने के अलावा भी श्री बनर्जी दुनिया की गरीबी दूर करने के लिए कई रिसर्च कर रहे हैं और कई किताबें भी लिख चुके हैं.