राँची, 26 जून: खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने झारखंड राज्य बार काउंसिल के सभी सदस्यों को पत्र भेजकर स्मारित किया है कि आगामी 29 जून, 2019 को आयोजित काउंसिल की बैठक में वे काउंसिल की दिनांक 23 नवम्बर, 2018 की बैठक में उनके विरूद्ध पारित प्रस्ताव को वापस लें और काउंसिल की बैठक में अपना पक्ष रखने के लिये उन्हें बुलायें.
उल्लेखनीय है कि 23 नवम्बर, 2018 सके बाद 29 जून, 2019 को राज्य बार काउंसिल की बैठक हो रही है. बार काउंसिल के उपाध्यक्ष एवं सदस्यगण को प्रेषित स्मार पत्र संलग्न है.
स्मार पत्र
उपाध्यक्ष एवं सदस्यगण, झारखंड राज्य बार काउंसिल,
डोरंडा,राँची
विषय : दिनांक 23 नवम्बर, 2018 को 1 बजे दिन में हुई झारखंड राज्य बार काउंसिल की आपात बैठक में काउंसिल के अध्यक्ष की पहल पर हुये विमर्श के उपरांत पारित प्रस्ताव में अधोहस्ताक्षरी के विरूद्ध अंकित आपत्तिजनक टिप्पणियों को रद्द करने एवं काउंसिल की बैठक बुलाकर अधोहस्ताक्षरी का पक्ष जानने के संबंध में .
संदर्भ : 1. प्रासंगिक विषय में झारखंड राज्य बार काँसिल के सचिव एवं अन्य सभी सदस्यों को प्रेषित अधोहस्ताक्षरी के पत्र संख्या आ० का० /250/18, दिनांक 20.12.2018 .
2. दिनांक 23 नवंबर, 2018 को संपन्न झारखंड राज्य बार काउंसिल की आपात बैठक में पारित प्रस्ताव के मूल विवरण में अंकित प्रासंगिक टिप्पणियाँ .
महोदय,
उपर्युक्त विषय एवं संदर्भ में आपको प्रेषित अधोहस्ताक्षरी के पत्र से आप भलिभांति अवगत हैं. आपने अवश्य ही इस पत्र को पढ़ा और समझा होगा तथा पत्र के विषय वस्तु की विवेचना किया होगा. मुझे जानकारी मिली है कि लम्बे अंतराल के उपरांत दिनांक 29 जून 2019 को झारखंड राज्य बार काउंसिल की बैठक आयोजित हो रही है. उपर्युक्त विषय एवं संदर्भ में विनम्र निवेदन है कि :
1. झारखंड राज्य बार काउंसिल के सचिव एवं अन्य सभी सदस्यों को अधोहस्ताक्षरी द्वारा प्रेषित संदर्भाधीन उपर्युक्त पत्र पर बैठक में विचार किया जाय.
2. झारखंड राज्य बार काउंसिल की दिनांक 23 नवम्बर 2018 की आपात बैठक में पारित प्रासंगिक प्रस्ताव में अधोहस्ताक्षरी के विरूद्ध काउंसिल के कतिपय सदस्यों द्वारा की गई आपत्तिजनक, अपमानजनक एवं अनावश्यक टिप्पणियों को रद्द किया जाय तथा प्रस्ताव को पूर्णत: अथवा आंशिक रूप में रद्द/ संशोधित किया जाय.
3. बार काउंसिल के अध्यक्ष से स्पष्टीकरण माँगा जाय कि प्रासंगिक विषय वस्तु के संबंध में उन्होनें किस उद्देश्य से तथ्य को तोडमरोडकर मनगढ़ंत रूप में बैठक के समक्ष प्रस्तुत किया और अधोहस्ताक्षरी के विरूद्ध निन्दा का प्रस्ताव बैठक में पारित करने का माहौल तैयार किया.
4. बार काउंसिल के अध्यक्ष से यह भी पूछा जाय कि काउंसिल के उपर्युक्त संदर्भाधीन प्रस्ताव में कतिपय माननीय सदस्यों ने खान विभाग के जिस मुक़दमे का ज़िक्र किया है उसमें खान विभाग का पक्ष रखते समय किस कारण से उन्होने खान विभाग से परामर्श नही किया और विभाग का वक़ील होने के बावजूद किसके आदेश/ सलाह पर और किस कारण से उन्होने माननीय न्यायालय से तथ्य छुपाया और विंभागहित के विरूद्ध बहस किया जिस पर विभाग ने असहमति जताया.
5. बार काउंसिल के अध्यक्ष से यह भी पूछा जाना चाहिये कि किससे प्रेरित/ आदेशित होकर उन्होने राजस्व विभाग से संबंधित जमशेदपुर के एक मुकदमा – टाटा स्टील लि० बनाम सरदार दलजीत सिंह – में माननीय झारखंड उच्च न्यायालय के निर्देश को राजस्व विभाग, झारखंड सरकार के सामने लिखित रूप में गलत प्रस्तुत किया जिसके कारण सरकार ने सरदार दलजीत सिंह के करीब 5 एकड़ क्षेत्रफल के भूखंड की जमाबंदी रद्द करने का आदेश दे दिया, जमाबंदी रद्द हो गई और अभी तक रद्द है. बाद में जब सरदार दलजीत सिंह के अधिवक्ता द्वारा माननीय उच्च न्यायालय को वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया और न्यायालय ने इसके लिये उन्हे फटकार लगाई तब जाकर इन्होने राजस्व विभाग को पत्र लिखकर अपने पूर्व के पत्र को वापस लिया. पर ज़मीन की जमाबंदी आज भी रद्द है. उल्लेखनीय है कि सरदार दलजीत सिंह भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता सरदार अमरप्रीत सिंह के अग्रज हैं. बार काउंसिल की बैठक में विचार होना चाहिये कि इस मामले मे बार काउंसिल के अध्यक्ष की भूमिका न्यायोचित है या राजनीति से प्रभावित है.बार काउंसिल के अध्यक्ष का यह आचरण “प्रोफ़ेशनल मिसकंडक्ट” की श्रेणी में आता है या नहीं ?
6. राज्य सरकार के एक मंत्री के नाते अधोहस्ताक्षरी द्वारा बार काउंसिल के अध्यक्ष, जो राज्य के महाधिवक्ता भी हैं, के ऐसे आचरण से माननीय मुख्यमंत्री को अवगत कराने की ख़बर अखबारों मे प्रकाशित हुई तो राज्य के महाधिवक्ता ने बार काउंसिल का अध्यक्ष होने के नाते काउंसिल के प्लेटफ़ार्म का दुरूपयोग कर अधोहस्ताक्षरी एवं अन्य के विरुद्ध राज्य के प्रथम अधिवक्ता को भी नही बख़्शने का आरोप लगाकर निन्दा का प्रस्ताव पारित करा दिया. इसका नतीजा यह भी हुआ कि बार काउंसिल के कतिपय माननीय सदस्यगण ने भी अधोहस्ताक्षरी को अपनी बात रखने का मौक़ा दिये बग़ैर उनपर अनर्गल एवं अपमानजनक आरोप लगा दिया.
पुन: निवेदन है कि अधोहस्ताक्षरी के संदर्भाधीन उपर्युक्त पत्र को 29 जून, 2018 को आहुत बार काउंसिल की बैठक में विचारार्थ रखा जाय, 23 नवम्बर 2018, की आपात बैठक में काउंसिल द्वारा अधोहस्ताक्षरी के विरूद्ध पारित प्रस्ताव वापस लिया जाय, अधोहस्ताक्षरी को बार काउंसिल की बैठक में व्यक्तिगत रूप से अपना पक्ष करने का मौक़ा दिया जाय और तदुपरांत तथ्याधारित विधिसम्मत निर्णय लिया जाय.
सादर,
ह०/-
सरयू राय
सदस्य, झारखंड राज्य बार काउंसिल बंगला संख्या -8, डोरंडा, राँची