दुमका: झारखंड सरकार और जिला प्रशासन की पहल से लॉकडाउन की वजह से लेह लद्दाख, कारगिल और जम्मू-कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों में फंसे दुमका जिले के 40 प्रवासी मजदूरों को हवाई जहाज और विशेष बस से शनिवार को सुरक्षित उन्हें अपना घर पहुंचने का सौभाग्य प्राप्त हो गया.
लम्बे समय से लेह लद्दाख, करगिल एवं जम्मू कश्मीर में फंसे प्रवासी मजदूरों को हवाई जहाज से पहले रांची स्थित बिरसा मुंडा हवाई अड्डा लाया गया. इसमें दुमका जिला के 40 प्रवासी मजदूर शामिल थे. ये सभी मजदूर लेह-करगिल और बटालिक सेक्टर में बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन (बीआरओ) की ओर से कराए जा रहे निर्माण कार्य में जुटे थे. इन मजदूरों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से घर वापसी कराने को लेकर मदद करने की गुहार लगाई थी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार लेह प्रशासन के संपर्क में थे. इसके बाद झारखंड सरकार द्वारा उन्हें हवाई जहाज से झारखंड लाने की व्यवस्था की गई.
रांची एयरपोर्ट से बस के माध्यम से प्रवासी मजदूरों को दुमका लाया गया. इसमें कुछ मजदूर अन्य जिले के भी थे. इसमें दुमका जिले के 40 प्रवासी मजदूर अलग-अलग प्रखंड के थे. लेह लद्दाख से दुमका पहुंचे मसलिया प्रखंड के 9, रानीश्वर प्रखंड के 4, शिकारीपाड़ा प्रखंड के एक। करगिल एवं जम्मू कश्मीर में फंसे जिले के गोपीकांदर प्रखंड के 11, एवं काठीकुंड प्रखंड के 15 मजदूरों को हवाई जहाज से सरकारी स्तर पर उपलब्ध विशेष बस से दुमका पहुंचाने पर जिला प्रशासन द्वारा उनके स्वास्थ्य की जांच की गयी.
इस क्रम बातचीत के दौरान हवाई जहाज एवं बस से पहुंचे प्रवासी मजदूरों ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन की पहल पर संकट में फंसे हम मजदूरों को हवाई जहाज से घर भेजा जाएगा. यह सुनकर यकीन भी नहीं हो रहा था, लेकिन आज घर पहुंचकर अपनी जन्म भूमि, अपनी मिट्टी और अपने परिवार से मिलकर बेहद खुशी हो रही है और आह्लादित महसूस कर रहा हूं.
प्रवासी मजदूरों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और जिला प्रशासन के प्रति आभारी व्यक्त करने के साथ धन्यवाद दिया. जिला प्रशासन की पहल पर स्वास्थ विभाग द्वारा सभी मजदूरों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई. एयरपोर्ट में ही होम क्वारंटाइन का मुहर लगाकर उन्हें रवाना किया गया था. इसके बाद मजदूरों को उनके घर भेजा गया.
इसी बीच प्रवासी मजदूर रमेश्वर देहरी ने बताया कि हवाई जहाज पर सफर करना तो दूर उन्हें अब तक हवाई जहाज को नजदीक से देखने का भी अवसर नहीं मिला था. वह कहते हैं कि कभी सोचते भी नहीं थे कि हवाई जहाज पर यात्रा कर पाएंगें इस संकट की घड़ी में हम मजदूर हर पल सांसत में दिन गुजारने को विवश थे. हवाई जहाज से अपने घर वापसी का मौका मिलना किसी रोमांच से कम नहीं है.
अपना अनुभव सांझा करते हुए कहा कि हवाई जहाज ने जब उड़ान भरी तो बहुत मजा आया जो रोमांचकारी था. दो महीने के इंतजार के बाद अब घर पहुंच गए तो ऐसा लग रहा है मानो स्वर्ग पहुंच गए हैं. रोजी-रोटी की जुगाड़ में किसी प्रकार ट्रेन व बस के सहारे लेह तक पहुंचे थे. प्लेन से लौटेंगे ये सोचा नहीं था. मजदूरों ने कहा कि अपने घर में अपने परिवार के बीच रहकर कम कमा कर भी खुशी से जीवन गुजारा जा सकता है. इस तरह का दिन देखने की कल्पना से रुह कांप जाता है.