जानें क्‍या है सिजोफ्रेनिया… जिससे ग्रसित थे वशिष्ठ नारायण

रांची: सिजोफ्रेनिया जैसी गंभीर मानसिक बीमारी का सटीक पता लगाना अब भी वैज्ञानिकों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है.

बता दें कि सिजोफ्रेनिया से महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का आज निधन हो गया. वो इस बीमारी से लगभग 44 साल लड़ते रहे.

कनाडा स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा ने इस क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल करते हुए ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित इम्पासिज नामक उपकरण तैयार किया है.

परीक्षण के दौरान इस उपकरण ने सिजोफ्रेनिया के 87 फीसदी मरीजों में बीमारी का सटीक पता लगाया.

सिजोफ्रेनिया के मरीज वास्तविक दुनिया से कट जाते हैं. इस बीमारी से ग्रसित दो मरीजों के लक्षण हर बार एक जैसे नहीं होते. ऐसे में इस बीमारी का पता लगाना कठिन हो जाता है.

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भारतवंशी वैज्ञानिक सुनील कलमाडी का कहना है कि एआई तकनीक से इसका सटीक पता लग सकता है. इम्पासिज को सिजोफ्रेनिया से ग्रसित ऐसे मरीजों का डाटा लेकर बनाया गया है, जो उस वक्त कोई दवा नहीं ले रहे थे. इससे शुरुआत में बीमारी का पता लग सकता है.

सिजोफ्रेनिया के मरीजों में कुछ विशेष तौर से दिखने वाले लक्षण कैटेटोनिक कहे जाते है. इसमें व्यक्ति ज्यादा चलता फिरता नहीं है और किसी भी निर्देशों का पालन नहीं कर पाता है.

इसकी चरमता पर ऐये व्यक्ति मोटर की गतिविधियों की अत्यधिक और अजीब सी आवाज निकालकर नकल उतारते है. इसे कैटेटोनिक उत्साह कहा जाता है.

सिजोफ्रेनिया के लक्षण

इलाज में मार्डन तकनीकी की वजह से पहले की तुलना में अब कैटेटोनिक सिजोफ्रेनिया कम पाया जाता है. सिजोफ्रेनिया की बजाय कैटेटोनिक को न्यूरोडेवलेपमेंटल (एक ऐसी स्थिति जो बच्चे के तंत्रिका तंत्र को विकसित करने के समय प्रभावित करती है), साइकोटिक बाइपोलर, और डिप्रेसिव डिसऑर्डर जैसे मानसिक बीमारियों में ज्यादा देखा जाता है.

कैटेटोनिया के रोगी को अत्यधिक और कम मोटर गतिविधि के बीच में देखा जा सकता है. माडर्न तकनीकी की वजह से कैटेटोनिक सिजोफ्रेनिया के मरीज अपने लक्षणों को आसानी से समझने लगे है, जिससे उनकी जिंदगी पहले से बेहतर हो गई है.

सिजोफ्रेनिया के कारण

जेनेटिक्स- सिजोफ्रेनिया का इतिहास रखने वाले परिवार में इस बीमारी से ग्रस्त होने का खतरा ज्यादा रहता है.

वायरल संक्रमण – कुछ अध्ययनों के अनुसार वायरल संक्रमण के कारण बच्चों में एक प्रकार का पागलपन के विकास होने की संभावना ज्यादा रहती है.

भ्रूण कुपोषण – अगर गर्भावस्था के दौरान भ्रूण कुपोषण से ग्रस्त है, वहां एक प्रकार का पागलपन विकसित होने का अधिक खतरा है.

प्रारंभिक जीवन के दौरान तनाव – प्रारंभिक जीवन मेंगंभीर तनाव के कारण एक प्रकार के पागलपन के विकास होने का खतरा रहता है.

जन्म के समय माता-पिता की आयु – ज्यादा उम्र के माता पिता के बच्चों में इस बीमारी के होने की संभावना ज्यादा रहती है.

सिजोफ्रेनिया का इलाज

सिजोफ्रेनिया एक ऐसी स्थिति है जो सारी जिंदगी रहती है, हालांकि कैटेटोनिक लक्षण हमेशा रहे ऐसा जरूरी नहीं है. सिजोफ्रेनिया के मरीजों को एक स्थायी आधार पर उपचार की आवश्यकता होती है ; यहां तक ​​कि जब लक्षण गायब हो जाये और रोगी को लगने लगे वे बेहतर हो गए हैं.

सभी प्रकार के सिजोफ्रेनिया का इलाज एक ही तरीके से किया जाता है. बीमारी के तथ्यों, गंभीरता और लक्षणों के आधार पर इसके इलाज के तरीकों में अंतर हो सकता है.

 

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