नई दिल्ली: एचआईवी HIV तब फैलता है जब किसी भी एक HIV संक्रमित व्यक्ति का शरीर द्रव (Body Fluid) किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर द्रव से संपर्क में आता है . आज विश्व एडस दिवस है. 31 साल पहले साल 1988 में दुनिया को एचआईवी संक्रमण के प्रति जागरूक करने के लिए इस दिन की शुरुआत की गई थी. यह वह दौर था जब यह बीमारी तेजी से फैल रही थी. 90 के दशक के आखिर में एड्स चरम पर था, जिसने दुनिया को इसके खिलाफ लड़ने के लिए झकझोर कर रख दिया.
वैज्ञानिकों के अनुसार सबसे पहले एड्स की उत्पत्ति किन्शासा शहर से हुई थी, जो वर्तमान में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो की राजधानी है. एडस को लेकर सबसे दुखद यह है कि इस बीमारी के फैलने के करीब 30 साल बाद इसका पता चल पाया.
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल 17 लाख नए मामले सामने आए थे. यह आंकड़ा 1997 में 30 लाख था. तीन करोड़ 20 लाख लोगों की जान जा चुकी है. 81 लाख लोगों को मालूम ही नहीं था कि उन्हें एडस है. इस साल की थीम है ‘कम्युनिटीज मेक द डिफरेंस’ यानी समुदाय बदलाव लाते हैं.
एडस के मामले में भारत तीसरे पायदान पर
भारत में पहला मामला साल 1986 में तमिलनाडु में सामने आया था. दो साल पहवे यूएन एडस की रिपोर्ट के अनुसार भारत में एचआईवी संक्रमण में 46 फीसदी की कमी आई है. 2017 तक 79 फीसदी लोगों को उनका एचआईवी स्टेटस पता था.
नई दिल्ली: एचआईवी HIV तब फैलता है जब किसी भी एक HIV संक्रमित व्यक्ति का शरीर द्रव (Body Fluid) किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर द्रव से संपर्क में आता है . आज विश्व एडस दिवस है. 31 साल पहले साल 1988 में दुनिया को एचआईवी संक्रमण के प्रति जागरूक करने के लिए इस दिन की शुरुआत की गई थी. यह वह दौर था जब यह बीमारी तेजी से फैल रही थी. 90 के दशक के आखिर में एड्स चरम पर था, जिसने दुनिया को इसके खिलाफ लड़ने के लिए झकझोर कर रख दिया.
वैज्ञानिकों के अनुसार सबसे पहले एड्स की उत्पत्ति किन्शासा शहर से हुई थी, जो वर्तमान में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो की राजधानी है. एडस को लेकर सबसे दुखद यह है कि इस बीमारी के फैलने के करीब 30 साल बाद इसका पता चल पाया.
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल 17 लाख नए मामले सामने आए थे. यह आंकड़ा 1997 में 30 लाख था. तीन करोड़ 20 लाख लोगों की जान जा चुकी है. 81 लाख लोगों को मालूम ही नहीं था कि उन्हें एडस है. इस साल की थीम है ‘कम्युनिटीज मेक द डिफरेंस’ यानी समुदाय बदलाव लाते हैं.
एडस के मामले में भारत तीसरे पायदान पर
भारत में पहला मामला साल 1986 में तमिलनाडु में सामने आया था. दो साल पहवे यूएन एडस की रिपोर्ट के अनुसार भारत में एचआईवी संक्रमण में 46 फीसदी की कमी आई है. 2017 तक 79 फीसदी लोगों को उनका एचआईवी स्टेटस पता था.