नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नेवी में महिला और पुरुष अधिकारियों दोनों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए.
भारत की सर्वोच्च अदालत की जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली बेंच ने मंगलवार को कहा कि परमानेंट कमीशन देने के मामले में महिलाओं के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट मामलों पर नजर रखने वाले पत्रकार सुचित्र मोहंती के अनुसार, कोर्ट ने कहा है कि एक बार नेवी में महिलाओं के प्रवेश को इजाजत दिए जाने के बाद परमानेंट कमीशन देने के मामले में महिला और पुरुषों को समान रूप से मौके दिए जाने चाहिए.
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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट भारतीय सेना में महिला अधिकारियों के परमानेंट कमीशन पर उनके हक में फैसला सुना चुका चुका है.
सुप्रीम कोर्ट से सरकार को आदेश दिया है कि तुरंत प्रभाव से आदेश लागू करे और नेवी में काम कर रही महिलाओं को तीन महीने के भीतर ही परमानेंट कमीशन देना शुरु करे.
कोर्ट ने केंद्र की इस दलील को खारिज किया कि रूसी पनडुब्बियों पर वॉशरुम न होने के कारण महिला अफसरों को समुद्री अभियानों में शामिल नहीं किया जाना चाहिए.
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कोर्ट ने कहा कि सशस्त्र बलों में महिलाओं के साथ समानता न रखने के लिए आप 101 दलीलें नहीं पेश कर सकते, आपको उन्हें समान मौके देने होंगे.
फिलहाल नेवी में काम रही महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने के मामले में रिक्त पदों का ध्यान रखा जाएगा.
साथ ही कोर्ट ने कहा कि जो महिला अफसर नेवी से रिटायर हो चुकी हैं और जिन्हें परमानेंट कमीशन नहीं दिया गया था उन्हें भी पेंशन की सुविधा दी जानी चाहिए.