नई दिल्ली: कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लागू है. लॉकडाउन की वजह से देश में सभी तरह की आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ी हुई हैं.
वहीं लॉकडाउन की वजह से किसानों के सामने भी बड़ा संकट खड़ा हो गया है. बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार और कृषि मामलों के जानकार पी. साईनाथ ने लॉकडाउन में किसानों को होने वाली समस्याओं के बारे में बताया.
जल संकट से पहले एक बड़ी समस्या
पी. साईनाथ ने कहा कि भारत के किसानों के सामने जल संकट से पहले लॉकडाउन की वजह से एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. अगले 10-15 दिनों में जल की समस्या खड़ी हो जाएगी. शहर में कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए बार-बार हाथ धोने वाले लोग जल संकट के बारे में नहीं सोच पा रहे हैं.
पी. साईनाथ ने कहा कि देश में लॉकडाउन की अचानक हुई घोषणा से अफरा-तफरी जैसा माहौल खड़ा हो गया और इससे शहरों में काम करने वाले मजदूरों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा. काम बंद होने की वजह से रोजी-रोटी की समस्या देख मजदूरों का अपने गांवों की तरफ पलायन शुरू हो गया. लॉकडाउन में सभी चीजें बंद होने की वजह से मजदूरों को हाइवे पर भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा. यहां तक कि मोबाइल चार्ज करने तक की भी समस्या हुई.
मजदूरों के लिए फ्री राशन और मनरेगा मजदूरों को भुगतान की घोषणा पर पी साईनाथ ने कहा कि एलान में स्पष्टीकरण न होने की वजह से मजदूरों में अफरा तफरी देखने को मिली. यह साफ नहीं था कि मौजूदा कोटा के साथ फ्री वाला राशन मिलेगा या कोटा को छोड़कर फ्री वाला राशन मिलेगा. उन्होंने कहा कि यह साफ नहीं है कि मनरेगा मजदूरों को पैसा कैसे मिलेगा?
सबसे ज्यादा ग्रामीण आबादी को हुआ नुकसान
पी. साईनाथ ने कहा कि मजदूर गांव पहुंचे तो उन्हें गांव में दाखिल होने से रोका गया, जबकि वो लंबी यात्रा करके अपने गंतव्य तक पहुंचे थे. उन्होंने कहा कि नवउदारवाद से सबसे ज्यादा ग्रामीण आबादी को नुकसान हुआ है. नवउदारवाद के चलते गांव की आबादी का बड़ा हिस्सा शहरों में चला आया.
उन्होंने कहा कि देश में कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा रोजगार मिलता है. इसके बाद हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट में रोजगार मिलता है न कि आईटी सेक्टर से. लेकिन लॉकडाउन होने की वजह से हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट का काम प्रभावित हुआ है क्योंकि लॉकडाउन में सब कुछ बंद है. दिल्ली जैसे शहरों में लगने वाली प्रदर्शनी भी प्रभावित हुई है और इसकी वजह से किसान मजदूरों पर मार पड़ी है.
कोरोना संकट में किसानों की समस्याओं से कैसे निपटा जाए के सवाल पर पी. साईनाथ कहते हैं कि हमें पिछले 25 सालों के घटनाक्रमों से सीख लेनी चाहिए. हमने विकास किया लेकिन गरीब तबके लिए कुछ खास नहीं कर पाए. लेबर तबके की सिक्योरिटी के लिए कुछ नहीं किया गया. इससे गांवों की व्यवस्था पर असर पड़ा. असमानता बढ़ी है. इससे निपटने के लिए हमें संवैधानिक प्रावधानों को लागू करना होगा.