दिल्ली: सीएमआईई ने जो आंकड़े पेश किए हैं, उससे हमें पहली बार यह अंदाज़ मिलता है कि हमारी इकॉनमी के साथ हो क्या रहा है. हम सब देख रहे हैं कि सड़कों पर क्या हो रहा है.
कितने लोग घर पर बैठे हुए हैं. हम लोग जानते हैं कि क्या सब बंद हो रहा है लेकिन इसका कोई आंकड़ा हमारे पास नहीं था. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने जो रिपोर्ट जारी की है, वो ये बताती है कि देश में कितने लोग अभी बेरोजगार हैं.
वो कहते हैं कि पहली बार बेरोजगारी 23 प्रतिशत हो गई है. कोरोना वायरस के संक्रमण से पहले देश में आठ प्रतिशत बेरोजगारी दर थी, जो कि बर्दाश्त से बाहर मानी जाती है. ये पहले से ही ज्यादा थी. अब इसे कहेंगे कंगाली में आटा गीला. बेरोजगारी तीन गुना और बढ़ गई है.
अब इस आंकड़े को तोड़ कर देखने की कोशिश कीजिए. जब देश में कोरोना वायरस का संकट नहीं था और लॉकडाउन नहीं हुआ था. उस वक़्त अंदाजन 40 करोड़ भारतीय किसी ना किसी रोजगार में थे और तीन करोड़ बेरोजगार थे. अब ये 40 करोड़ एक झटके में घटकर 28 करोड़ तक पहुंच गया है.
मतलब कि 12 करोड़ लोगों का रोजगार एक झटके में चला गया. इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया जिसमें एक झटके में इतनी बड़ी संख्या में लोगों का रोजगार खत्म हो गया हो.
इस दौरान असंगठित क्षेत्र के प्रवासी मजदूरों का जो इतना बड़ा पलायन हुआ, उसे लेकर हमें कोई जानकारी नहीं है. इसकी जानकारी का सिर्फ एक स्रोत है, वो है भारत सरकार ने जो सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा डाला है, उसमें सरकार ने माना है कि छह लाख मजदूर सड़कों पर थे, जिनको हमने कैम्प में डाल दिया है.
ये तो सरकार ने कबूल किया है. हकीकत तो यह है कि दसियों लाख लोग सड़क पर थे. इस वक़्त हम देश के सबसे गंभीर समय से गुजर रहे हैं, जब लाखों नहीं करोड़ों लोग भूख के संकट से गुजर रहे हैं. अगर दस करोड़ लोगों का रोजगार चला गया तो इस दस करोड़ में से सात-आठ करोड़ लोग ऐसे होंगे जिनमें वो अपने घर के अकेले कमाने वाले होंगे.
दूसरी ओर किसानों के लिए भी ये बहुत संकट का दौर है. पहला संकट तो है कि किसान कटाई करने खेत में नहीं जा पा रहे. 15 अप्रैल से लॉकडाउन खुल भी गया तो मजदूर नहीं मिलेंगे. अगर मज़दूर मिल भी गए तो हार्वेस्टर जिसे एक राज्य से दूसरे राज्य में जाना होता है, वो आना लगभग बंद हो चुका है. वो सड़कों पर ट्रकों के साथ जहां है वहीं रुके पड़े हैं.
मंडियां अभी तो खुली नहीं हैं लेकिन जब खुल जाएंगी तो कहां खुलेंगी कोई पता नहीं. किसान को फसल का दाम तब मिलेगा जब सरकार खरीदी करेगी और सरकार के खरीदी केंद्र अब तक खुले नहीं देर से खुलेंगे. पंजाब और हरियाणा में हालत थोड़ी से बेहतर हो सकती है. क्योंकि वहां सरकार ने घोषणाएं की हैं.
बाकी जगह कितनी खरीद होगी, यह हम जानते नहीं. इसलिए किसान की अच्छी फसल होने के बावजूद बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है और ये तो हम गेहूं-चावल और सरसों की बात कर रहे हैं, जो इस वक़्त की फसले हैं. लेकिन जो फल-सब्जी है, उसके किसान तो बर्बाद हो चुके हैं. किसान अपनी फल-सब्जियां फेंक रहे हैं क्योंकि मंडी खुली नहीं है. कहां ले कर जाएंगे वो. इसलिए यह किसानों के लिए बहुत संकट का दौर है.
ये जो रबी की फसल है, वो साल में एक बार होती है. और पूरे साल की कमाई इस पर ही निर्भर करती है.
सरकार ने जो घोषणाएं की हैं, उसमें से एक सबसे अच्छी घोषणा है. सरकार की ओर से जो राशन मिलता है, उसे दोगुना कर दिया गया है. हालांकि अभी लोगों तक ये राशन पहुंचने में देर हो रही है.
जो सरकार ने मुफ़्त में देने की घोषणा की है, वो जमीनी स्तर पर अब भी नहीं हो पा रहा है और कोटेदार गरीबों से पैसे ले ही रहा है.