आर्थिक सुस्ती के दुष्प्रभावों से निपटने की तैयारी
रांची. झारखण्ड के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में चालू वित्त वर्ष 2020-21 में गिरावट के अनुमान न सिर्फ निजी रिसर्च एजेंसियां लगा रहीं हैं, बल्कि 1 फरवरी को संसद में पेश 15 वे वित्त आयोग की रिपोर्ट में 9 प्रतिशत की गिरावट का उल्लेख है.
आर्थिक मामलों के जानकार सूर्यकांत शुक्ला का कहना है कि यूनियन बजट के बाद अब राज्यों के सालाना बजट आने लगे हैं. कोविड-19 जनित आर्थिक सुस्ती के दुष्प्रभावों से निपटने की तैयारी में जब राज्य सरकारें अपने अपने सालाना बजटों को अंतिम रूप देने में जुटी हैं तो ऐसे समय में अर्थव्यवस्था में गिरावट के आंकड़े थोड़ी चिंता तो बढ़ा ही देते हैं. झारखण्ड की अर्थव्यवस्था में यदि 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 9प्रतिशत की गिरावट होती है, तो इसे छोटे राज्य में बड़ी गिरावट कहा जायेगा.
इंडिया रेटिंग निजी एजेंसी की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार देश के जिन पांच राज्यों में लॉकडाउन का ज्यादा असर पड़ा उसमें झारखण्ड भी शामिल है. 7 जनवरी को जब सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा चालू वित्त वर्ष की जीडीपी में 7.7 प्रतिशत के नेगेटिव ग्रोथ का आंकड़ा जारी हुआ तो पता चल गया था कि इस नेगेटिव ग्रोथ में झारखण्ड की भी तो कुछ न कुछ हिस्सेदारी होगी ही. इंडिया रेटिंग की रिपोर्ट में राज्यों के लिये 1. 4प्रतिशत से लेकर 14.3 प्रतिशत तक गिरावट का अनुमान लगाया गया है.
15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट में कर्ज और जीएसडीपी के अनुपात में बढ़ोतरी का भी अनुमान किया गया है. कर्ज-जीडीपी अनुपात किसी राज्य का जितना कम होगा उतना ही अच्छा उस राज्य का कर्ज भुगतान सामर्थ्य होगा.झारखण्ड के लिये यह अनुपात वित्त वर्ष 2019 में 27.2 से बढ़कर वित्त वर्ष 2020 में 29 और वित्त वर्ष 2021 में 37.2 होने का अनुमान वित्त आयोग की रिपोर्ट में है.
कर्ज और जीएसडीपी के मानक अनुपात का निर्धारण 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट में 25 प्रतिशत का है. एफआरबीएम के रिव्यु पैनल की अनुशंशा में तो यह अनुपात और कम 20 प्रतिशत है जिसे 2019 के यूनियन बजट में अपनाया गया है और अभी यह लागू है.
कोरोना महामारी से लड़ाई में राज्य सामूहिक रूप से अग्रणी रहे हैं. झारखण्ड तो और भी आगे बढ़कर काम किया है. छात्रों को कोटा से ट्रेन द्वारा वापस लाने की बात हो या प्रवासी मजदूरों को हवाई जहाज से घर वापस लाने की बात हो या संक्रमण को नियंत्रित करने की बात हो दाल भात केंद्र खोलने की बात हो, ये वैसे प्रयास है जिन्हें व्यापक सराहना मिली है. सरकार आगामी बजट में कुल व्यय में विकास व्यय और आर्थिक व्यय के अनुपात को बढ़ाते हुए स्वास्थ्य और शिक्षा प्रक्षेत्र के व्यय पर फोकस कर झारखण्ड के लिये विकास के द्वार खोलेगी..