नई दिल्ली: Google पर मौजूद प्रतिष्ठित कंपनियों के ग्राहक सेवा का 99 फीसदी नंबर फेक है, वे सभी नंबर साइबर अपराधियों के हैं. अगर आप Google से किसी कंपनी का कस्टमर केयर का नंबर निकालकर अपनी परेशानी दूर करना चाह रहे हैं तो ज़रा सतर्क हो जाइये क्योंकि ये शयद आप गलत हो सकते हैं.
संभव है वो नंबर कस्टमर केयर का नहीं होकर साइबर क्राइम करने वाले अपराधियों का हो सकता है. सतर्क रहने की खास ज़रूरत तब है जब आपको किसी कंपनी से पैसे रिफंड लेने हैं.
अपराधी फ्रॉड के नए-नए तरीके इजात कर लोगो की जेब काट रहे हैं. प्रतिष्ठित कंपनियों के कस्टमर केयर नंबर हैकिंग के द्वारा बदल कर अपना निजी नंबर डाल रोज़ाना कई लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं.
यूनिफाइड पेमेंट इंटरफ़ेस में आसानी से प्रवेश कर रहे हैं. लोगों को लूटने का ये सारा खेल झारखण्ड के जामताड़ा से चल रहा है. UPI मोबाइल प्लेटफॉर्म पर दो बैंक खातों के बीच तुरंत फंड ट्रांसफर कर यह बैंक लेन-देन को सुविधाजनक बनाता है.
अब इसमें सेंधमारी बहुत ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि बैंक नहीं संभले तो ना जाने कितनो का खाता खाली हो जायेगा.
ऐसे हो रहे है लोग शिकार
रांची निवासी कौशिक साहा ने ऑनलाइन फूड आर्डर एप्लीकेशन के मदद से खाना आर्डर किया जिसका भुगतान उन्होंने पेटीएम से किया. खाने खराब होने की वजह से गूगल से नंबर निकाल कर कस्टमर केयर पर शिकायत की.
फ़ोन पर बात करने वाले शख्स ने माफ़ी मांगी और उसके पश्चात पैसे वापस करने की बात कहकर कौशिक के मोबाइल पर एक लिंक भेजा. उस लिंक को कॉपी करके वापस फॉरवर्ड के आग्रह पर कौशिक ने लिंक को जैसे ही शेयर किया, उनके अकाउंट से 12 हज़ार रूपये निकल गये.
तकनीकी प्रक्रिया और बचने के उपाय
UPI एप्प फ़ोन में लगे पंजीकृत सिम के सहारे काम करता है. कॉल के दौरान साइबर अपराधियों को ये पता चल जाता है की खाता किस बैंक का है, इससे पहले की सामने वाला समझ पाए, उससे पहले ही अकाउंट हैक हो चूका होता है.
अबतक एयरलाइन्स कंपनी, ऑनलाइन फ़ूड आर्डर करने वाली कंपनी और कूरियर कंपनियों के नाम पर रिफंड लेते समय लोग जालसाज़ी का शिकार हो चुके हैं.
इस जालसाजी से बचने के उपाय में साइबर एक्सपर्ट ने कहा कि लोगों को अपने फ़ोन के सिक्योरिटी फीचर को हमेशा अपडेट रखना होगा साथ ही फाइनेंसियल इंस्टीटूशन को भी सिक्योरिटी फीचर को हमेशा मज़बूत करने के साथ-साथ आधुनिक बनाना जरुरी है.
क्या है वर्तमान परिदृश्य
अपराधी पैसे रिफंड के जरिये बेवकूफ बनाने के लिए प्रतिष्ठित कंपनी का हू-ब-हू फॉर्म का लिंक भेजते हैं. अधिकतम लोग इसी चीज़ को देखते हुए अपना डिटेल साझा कर देते है और इस जालसाजी का शिकार हो जाते हैं.
पुलिस की गिरफ्त में काफी साइबर अपराधी आ रहे हैं पर उसके बावजूद भी ऐसी घटनाएं आये दिन सुनने में आ रहींहैं. यहां न की सिर्फ आम जनता बल्कि जामताड़ा के इन साइबर अपराधियों की झांसे में देश के नामी गिरामी लोग भी आकर लाखो गंवा चुके हैं.
साभार: मृत्युंजय श्रीवास्तव