रवि,
खास बातें:-
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मिस्फिका को फिर टैलेंट दिखाने का मौका, अपना पोस्ट बचाने में सफल रहे प्रतुल
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अनंत ओझा, राकेश प्रसाद, संजय सेठ, जेबी तुबिद, राजेश शुक्ला, दीनदयाल वर्णवाल, बालमुकुंद सहाय हो गए साइडलाइन
रांचीः प्रदेश बीजेपी कमेटी का ढ़ांचा तैयार करने में चर्चित तिकड़ी हावी रही. कमेटी में किसे जगह देनी है, किसे साइडलाइन करना है, इन तीनों ने ही मिल-बैठ कर तय किया. जिससे कई सक्रिय पदाधिकारी साइडलाइन हो गए.
महामंत्री के रूप में सबसे सक्रिय रहे अनंत ओझा को साइडलाइन कर दिया गया. जबकि वे अपने विधानसभा क्षेत्र को भी छोड़कर संगठन का काम देखते थे. वहीं पिछली कमेटी में महामंत्री के तौर फिसड्डी रहे सांसद सुनील सिंह को बेहतर पद मिल गया.
उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया गया. सूत्रों की मानें तो कमेटी का खाका तैयार करने में प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह, सांसद सह प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और सरला बिड़ला स्कूल को अपनी राजनीति के लिए इस्तेमाल करने वाले प्रदीप वर्मा की तिकड़ी ही हावी रही. इसकी चर्चा भी अब संगठन में होने लगी है.
कहा जा रहा है कि भाजपा में संगठन मंत्री की भूमिका एक निष्पक्ष अभिभावक की तरह होती है लेकिन धर्मपाल सिंह पर इस परंपरा को तोड़ते हुए राजनीति और गुटबाजी को प्रश्रय देने का आरोप लगता रहा है. कई नेता नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि जिसे धर्मपाल सिंह पसंद नहीं करते उसे अपमानित करने से नहीं चूकते.
प्रदीप वर्मा और उनकी मित्रता के चर्चे पिछली कमेटी के समय से ही सुने जाते रहे हैं. इस बार यह मित्रता खुलकर सामने आ गई. नए प्रदेश अध्यक्ष ने अपनी तिकड़ी के प्रभाव में जिस ढंग की कमेटी बनाई है उससे भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं में आक्रोश दिख रहा है और आने वाले दिनों में यह विस्फोट करेगा.
कई दिग्गज हो गए साइडलाइन
नई प्रदेश कमेटी में कई दिग्गज साइडलाइन भी हो गए. इसमें पूर्व आइएएस सह प्रदेश प्रवक्ता जेबी तुबिद, राजेश शुक्ला, दीनदय़ाल वर्णवाल और बालमुकुंद सहाय प्रमुख रूप से शामिल हैं.
वहीं प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव अपना पद बचाने में सफल रहे. संताल और अल्पसंख्यक वर्ग का प्रतिनिधित्व करने के कारण मिस्फिका को फिर से प्रदेश प्रवक्ता के रूप में टैलेंट दिखाने का मौका मिला है.
सांसद विद्युत वरण महतो एवं पूर्व विधायक सत्येंद्र तिवारी को भी उपाध्यक्ष पद से चलता कर दिया गया है. राकेश प्रसाद, संजय सेठ एवं बालमुकुंद सहाय जैसे सदैव सक्रिय रहने वाले नेताओं को भी जगह नहीं मिली.
प्रदेश प्रवक्ता रह चुके रमेश पुष्कर एवं प्रेम मित्तल को ‘कट शार्ट’ करते हुए प्रवक्ता के सहयोगी की भूमिका में मीडिया सह प्रभारी बना दिया गया है. पिछली बार संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह, दीपक प्रकाश, प्रदीप वर्मा की तिकड़ी के साथ छाया की तरह सेवारत सुबोध सिंह गुड्डू को भी प्रदेश मंत्री पद से प्रोन्नति नहीं मिल पाई जबकि वह उपाध्यक्ष या महामंत्री के दावेदार बताए जा रहे थे.
तिकड़ी के ‘यस मैन’ आदित्य साहू को महामंत्री बनाया जाना किसी को भी पच नहीं रहा. उसी तरह अमित कुमार व अविनेश कुमार को प्रवक्ता बनाए जाने का तर्क नहीं दिख रहा.
पूरी कमेटी में लाए गए नए चेहरों में से ज्यादातर के पास सांगठनिक अनुभव की कमी दिखती है.
सबसे ज्यादा चर्चा बाबूलाल मरांडी की स्थिति को लेकर हो रही है. सूत्र बताते हैं कि वह भी कुछ समझने की स्थिति में नहीं यानी किंकर्तव्यविमूढ़ हैं.
उनके करीबी अभय सिंह का नाम महामंत्री पद के लिए चर्चा में था लेकिन उन्हें मात्र एक जिला का प्रभारी बनाकर छोड़ दिया गया. इस कमेटी में थोड़ी बहुत रघुवर दास की ही चली. प्रतुल और मिस्फीका उन्हीं की लिस्ट से हैं.
सवाल उठ रहा है कि क्या भाजपा इसी कमेटी के बल पर संगठन की गिरती साख को बचाएगी और झामुमो-कांग्रेस-राजद को टक्कर देगी.
वहीं लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा का सहयोग न करने को लेकर विवाद में आए पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा को प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया जाना भी चर्चा में है.