नीता शेखर,
आज सुबह-सुबह जब मोबाइल की घंटी बजी तो मन कुछ घबरा गया. सुबह के 4:00 बज रहे थे इतनी सुबह सुबह किसका फोन आया. जब मैंने देखा तो संयम का फोन था, उसने कहा दीदी साधना मौसी नहीं रही. क्या ? अचानक से मेरे मुंह से निकला.
साधना मौसी की याद बरबस ही आ गई. कितनी खूबसूरत, कितनी सरल और सीधी थी और भगवान भी कभी-कभी खूबसूरती के साथ-साथ भाग्य नहीं देता. मां बताया करती थी जब साधना मौसी का जन्म हुआ उसके कुछ सालों बाद नाना जी का देहांत हो गया, अपने पीछे पूरा परिवार छोड़ गए थे. उस समय साधना मौसी मात्र 6 साल की थी. खैर भाइयों ने गिरस्थी संभाल ली थी. साधना मौसी भी स्कूल कॉलेज पास करते हुए शादी की दहलीज पर खड़ी हो गई थी.
बहुत मुश्किल से उनकी शादी अच्छे परिवार में हुई थी मगर यहां भी उनका भाग्य ने साथ नहीं दिया. सास तो सास पति भी एक नंबर का निकम्मा निकला. आए दिन साधना मौसी को मारता पीटता. चुंकी मायका कमजोर था इसलिए सब कुछ सह लेती थी. 1 दिन सास ने साधना मौसी के खिलाफ शिकायत कर दी. फिर क्या था जो उन्होंने उनकी दुर्दशा की वह सह नहीं पाई . एक दिन उनके भाइयों को जब पता चला तो उन्होंने उन को संभाल लिया. उन्होंने साधना को कभी भी ससुराल ना भेजने का फैसला किया. साधना मौसी ने पूरे घर को संभाल लिया था. इतना ख्याल रखती थी कि सबको उनकी आदत सी हो गई थी. एक पल भी उनके बिना किसी का गुजारा नहीं होता था पर उनकी जिंदगी में सूनापन भर गया था.
तभी एक दिन छोटे मामा के दोस्त जो अमेरिका में रहते थे उनसे मिलने आए. दरवाजा साधना मौसी ने ही खोला. एक पल तो वह साधना मौसी को देखते ही रह गए फिर उन्होंने बताया मैं संजय का दोस्त हूं. साधना मौसी उनको ड्राइंग रूम में बिठाकर संजय मामा को बुलाने चली गई. संजय मामा के दोस्त 6 महीने के लिए भारत आए हुए थे. उनको संपत्ति से रिलेटेड कुछ काम था. लगभग रोज ही घर चले आते थे.
ऐसे ही बातों बातों में उन्होंने साधना मौसी के बारे में पूछा. मामा ने उन्हें सारी बात बताई. उन्होंने सुनकर अफसोस जाहिर किया फिर कभी कभी वह साधना मौसी से बात भी कर लिया करते थे. उनकी पत्नी का देहांत 5 साल पहले ही हो चुका था, उनके दो छोटे छोटे बच्चे थे. उनकी मां साथ में ही रहती थीं.
एक दिन उन्होंने अचानक साधना मौसी से कहा क्या तुम मुझसे शादी करोगी. इतना सुनते ही साधना मौसी घबराकर अंदर चली गई. ऐसा कैसे हो सकता है. यह दुनिया क्या कहेगी. मैं ऐसा नहीं कर सकती.
मामा और मामी ने सुना तो गुस्से से भड़क गए. उन्होंने दोस्त को इतना तक कह दिया अरे मैंने तुम्हें दोस्त समझा था तुमने मेरे ही पीठ पर खंजर चला दी. फिर उन्होंने उससे अपनी दोस्ती तोड़ ली. बात दरअसल बदनामी और समाज की नहीं थी वह तो बस एक दिखावा था असल में उन लोगों को एक मुफ्त की नौकरानी जो मिल गई थी.
इसी बीच एक दिन बाजार में साधना मौसी की भेंट संजय मामा के दोस्त से हो गई, उन्होंने कहा क्या आप मुझे थोड़ा समय दे सकती है. पहले तो साधना मौसी सकुचायी फिर उन्होंने कहा ठीक है. मामा के दोस्त उनको चाय के रेस्तरां में ले गये.
समझाना शुरू किया. आप अपनी जिंदगी को क्यों बर्बाद कर रही, यह दुनिया यह समाज किसी के काम नहीं आता. सब अपने स्वार्थों में लिप्त है. कल अगर खुदा ना करे आपको किसी चीज की जरूरत हो तो यह लोग खुद ही आपसे दूर हो जाएंगे. ठीक है कि आज आप सबका काम कर देती है लेकिन सोचिए उम्र के उस मुकाम पर जब आप पहुंचेंगे तो यह लोग ही आप से कन्नी काटने लगेंगे. तब क्या होगा इससे पहले कि देर हो जाए आप सोच लीजिए. साधना मौसी को भी मामा के दोस्त अच्छे लगने लगे थे पर लाख कोशिशों के बाद भी मामा मामी तैयार नहीं हुए. इसी बीच में मामा के दोस्त ने साधना मौसी का वीजा पासपोर्ट सब तैयार करवा लिया था. फिर एक दिन मौसी से उन्होंने कोर्ट मैरिज कर ली.
आज मौसी बहुत ही खूबसूरत लग रही थी. लाल सुर्ख जोड़ों में उनके चेहरे को चार चांद लगा दिया था. शादी के बाद जब मौसी हम लोगों से मिलने आई तो उनके सब्र का बांध टूट गया. उन्होंने मां से कहा दीदी मैंने कौन सी ऐसी गलती की सब भाइयों और भाभियों ने मुझसे रिश्ता तोड़ लिया. मां ने उन्हें समझाया तू चिंता मत कर सब ठीक हो जाएगा. तू खुशी खुशी अपनी गृहस्थी बसा. मौसी हम सब से विदा लेकर अमेरिका चली गई.
उन्होंने वहां जाकर बहुत ही अच्छे तरीके से अपना घर संभाल लिया. बच्चे तो 1 मिनट भी उनको छोड़ते नहीं थे. जिन खुशियों से वह आज तक वंचित थी अचानक भगवान ने उनकी झोली में डाल दी थी. बस नहीं बदले थे तो मामा मामी. उन्होंने उनसे हमेशा के लिए रिश्ता तोड़ लिया था.
देखते देखते समय गुजरता गया. अब बच्चे भी बड़े हो गए. सब की शादी भी हो गई. सब बड़े खुशहाली से रहते थे. मौसा जी 5 साल पहले ही विदा ले चुके थे. आज संयम से मौसी के बारे में सुनकर बहुत ही दुख हुआ. यही सोचती रही आखिर मौसी की क्या गलती थी? यही ना कि उन्होंने अपने बारे में सोचा! यह दुनिया है ही स्वार्थी. अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकती है.