नई दिल्ली: सरकार ने एयर इंडिया में अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए कंपनियों से आरंभिक सूचना जारी की है. मुख्य विमानन कंपनी के साथ-साथ सरकार ने सस्ती विमान सेवा देने वाली उसकी अनुषंगी की पूरी और रखरखाव सेवा कंपनी में 50 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का भी प्रस्ताव किया है.
इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि अडाणी समूह का विलय एवं अधिग्रहण विभाग एयर इंडिया के बोली दस्तावेजों की समीक्षा कर रहा है. कंपनी की ओर से इसमें शुरुआती तौर पर रुचि ली जा रही है. हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि बोली लगाने का निर्णय जांच-परख के लिए जाएगा.
यदि अडाणी समूह एयर इंडिया के लिए बोली लगाता है तो उसका मुकाबला टाटा समूह, हिंदुजा, इंडिगो और न्यूयॉर्क की इंटरप्स से होगा. इन सभी कंपनियों के अगले माह 17 मार्च की अंतिम तिथि तक इस संबंध में अपने रुचि पत्र जमा करने की उम्मीद है.
नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि एयर इंडिया वित्तीय चुनौतियों से जूझ रही है और यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है. पुरी ने कहा, ”मुझे नहीं लगता कि कोई भी किसी एयरलाइन को बिना उन लोगों के चला सकता है जिन्होंने उसे खड़ा किया है.”
नागर विमानन मंत्री ने कहा, ” हम कभी भी इस मुगालते में नहीं रहे कि एयर इंडिया के विनिवेश में कोई दिक्कत आएगी, आनी भी नहीं चाहिए. इसके अधिग्रहण को लेकर जो रुचि मैं देख रहा हूं और जहां से देख रहा हूं, मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं. कंपनी की बोली जो भी जीतेगा उसके लिए कर्मचारियों की जरूरत सबसे पहले होगी.” उन्होंने कहा, ”लोग पुछते हैं कि (विनिवेश के बाद) कंपनी के कर्मचारियों का क्या होगा ? जो भी इसका नया मालिक या प्रबंधक होगा उसे भी कर्मचारियों की जरूरत होगी. कई सालों से कंपनी में नयी भर्तियां नहीं हुई हैं.”