चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिला उपायुक्त अरवा राजकमल के द्वारा जानकारी दी गई कि आज प्रमंडलीय आयुक्त के नेतृत्व में नुइयांगढ़ा गांव जो सारंडा के दुर्गम क्षेत्र में अवस्थित है तथा सेल किरीबुरु से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चार वनग्राम के बीचोबीच स्थित है एवं कई सालों के बाद प्रशासन यहां पहुंचा है. विशेषकर वन ग्राम होने के कारण राजस्व ग्राम के रूप में इसकी मान्यता नहीं है. वन ग्राम होने के कारण कई विकास योजनाओं से दूर रह गया है. अभी भी इस गांव में बहुत सारे वनाधिकार पट्टों का वितरण हो चुका है, 22 की संख्या में नुंइयागढ़ा गांव में वन अधिकार पट्टा पूर्व में दिया गया है तथा रांगरिंग और दो अन्य ग्रामों में कोई वन अधिकार पट्टा नहीं दिया गया है.
ग्राम सभा के माध्यम से वन अधिकार पट्टा के लिए प्रशासन प्रयासरत
उपायुक्त ने कहा कि ऐसी जानकारी मिली है कि सेल में काम करने वाले मज़दूर जो कई वर्ष पूर्व यहां आए थे उनका यहां सेटलमेंट हुआ था. विधिवत् वनाधिकार अधिनियम के तहत् ग्राम सभा कराके उनका हक उनको देने के लिए प्रशासन प्रयास करेगा. उन्होंने कहा कि 2005, दिसंबर के पहले जिनका भी सेटलमेंट पाया जाता है उनको नियमानुसार ग्राम सभा के माध्यम से या टोला सभा, वन सभा के माध्यम से जो भी प्रस्ताव आता है उनको वन अधिकार पट्टा देने का काम करेंगे.
वन ग्रामों के संकुल में सामुदायिक परिसंपत्ति का होगा सृजन
उपायुक्त अरवा राजकमल ने कहा कि जिन भी ग्रामों में चाहे एक अथवा दो भी वनाधिकार पट्टा हैं, विधिवत् प्रशासन और सरकार यह मान रही है कि उनकी उपस्थिति वैध है वैसी जगह में हम सामुदायिक परिसंपत्ति का भी सृजन करेंगे. 1000 की आबादी पर एक आंगनबाड़ी बनाने का प्रावधान है जो कि कम जनसंख्या होने के कारण नहीं बनाया जा सका, ऐसे में क्षेत्र के ग्रामीणों को विकास योजनाओं का लाभ दिलवाने के लिए वन ग्रामों को एक संकुल के रूप में विकसित करेंगे. चार-पांच वन ग्रामों के मध्य एक ऐसे ग्राम को चयनित किया जाएगा जहां वन अधिकार पट्टा पूर्व में दिया गया हो वैसी जगह पर सामुदायिक भवन का निर्माण किया जाएगा जिसमें आंगनबाड़ी केंद्र, स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल अथवा कोई ब्रिज कोर्स का संचालन किया जाएगा तथा संपूर्ण तंत्र को और मजबूत करने का कार्य किया जाएगा.
छूटे हुए ग्रामीणों के लिए राशन कार्ड
उपायुक्त ने जानकारी दी कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान आयुक्त सिंहभूम (कोल्हान) प्रमंडल के द्वारा भी विभिन्न निर्देश दिए गए हैं जिनका अनुपालन समयबद्ध रूप से किया जाएगा. छूटे हुए लोगों को राशन कार्ड दिया जाएगा और गरीब विधवा महिलाओं को अंत्योदय कार्ड का वितरण सुनिश्चित किया जाएगा.
सारंडा क्षेत्र के 30-40 वन ग्रामों में सामुदायिक परिसंपत्ति का सृजन कर स्वास्थ्य-शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं की पहुंच
उपायुक्त ने कहा कि आने वाले दिनों में न केवल यह ग्राम बल्कि पूरे सारंडा वन क्षेत्र में करीब लगभग 30 से 40 वन ग्राम हैं जो कि छोटे-छोटे टोला के रूप में हैं जहां पर अवैध रूप से भी कुछ बंदोबस्ती है. उपायुक्त ने कहा कि आज के दिन में लोग वहां रह रहे हैं तो प्रत्येक परिस्थिति में उनको मूलभूत सुविधाएं पहुंचाए जाने की आवश्यकता है. सभी टोला और सभी ग्राम में वैध रूप से वन भूमि में संभवतः कार्य नहीं कर सकते हैं परंतु वैसे गांव जहां पूर्व में वन अधिकार पट्टा दिया गया या भविष्य में वनाधिकार पट्टों का क्लेम बनता है वैसे ग्रामों को लक्षित करते हुए सामुदायिक भवन बना कर सामूहिक परिसंपत्ति का सृजन करेंगे ताकि यहां के लोगों को भी स्वास्थ्य-शिक्षा संबंधित मूलभूत सुविधाएं सरकार और प्रशासन द्वारा उपलब्ध हो सकें.