भारत के विधि और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को शुक्ल ने भेजा ई-मेल
रांची: झारखंड स्टेट बार कौंसिल के वाईस चेयरमैन और राज्य के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुमार शुक्ल ने भारत सरकार के विधि और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद को ई-मेल भेजकर झारखंड और बिहार के अधिवक्ताओं को कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में आर्थिक पैकेज देने का आग्रह किया है.
शुक्ल जो अखिल भारतीय अधिवक्ता कल्याण समिति के राष्ट्रीय महामंत्री भी है, जिन्होंने प्रसाद को लिखा है कि आप स्वयं भी एक सफल अधिवक्ता है झारखंड और बिहार में लगभग 6 महीने से न्यायालय का काम वर्चुअल व्यवस्था के साथ चल रहा है. फिजिकल सुनवाई बंद है. ऐसे में मात्र 20 प्रतिशत अधिवक्ता इसका लाभ उठा पा रहे है.
जो अधिवक्ता गांव में रहते जहा बिजली भी अनियमित रहती है और शहर के भी कुछ इलाके इसके चपेट में रहते है, वहां के अधिवक्ता इसका लाभ नहीं उठा पाते है. लगभग 6 महीने से अधिवक्ताओं के पास कार्य निष्पादन की अव्यवस्था के चलते आर्थिक संकट है. कोरोना जैसी महामारी के चलते एक तरफ भय का माहौल है, तो दूसरी तरफ आर्थिक परेशानी भी अधिवक्ताओं के सामने है.
शुक्ल ने प्रसाद को लिखा है कि आपके निर्देश पर देश के अधिवक्ताओं की कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने, उनके लिए पारिवारिक बीमा कराने के बारे में कमिटी बनाई गई थी. उसके बाद योजना लागू करने पर सहमति भी बनी थी. अब समय आ गया है कि उन योजनाओं को लागू कराकर अधिवक्ताओं को आर्थिक कठिनाई से बचाया जा सके. उनके हित के काम व्यापकता के साथ किए जा सके.
शुक्ल ने ई-मेल को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को भी भेजा है तथा लिखा है राज्य सरकार चाहे तो अनेक योजनाओं का लाभ अधिवक्ताओ को दे सकती है. तेलंगाना, गुजरात, उत्तरप्रदेश, तथा छत्तीसगढ़ में राज्य सरकारों ने इस कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में अधिवक्ताओं के लिए आर्थिक पैकेज दिया है. लेकिन झारखंड, बिहार में नहीं दिया गया है. यहां की राज्य सरकारों को भी विचार कर आर्थिक पैकेज देना चाहिए.
शुक्ल ने प्रसाद से आग्रह किया है वे अधिवक्ताओं की कठिनाई को महसूस करते हुए एक आर्थिक पैकेज की योजना इस कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में लागू करने पर विचार करे और राज्य सरकारों को भी निर्देश दे कि अधिवक्ताओं के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर अब तक के गौरवशाली और स्वर्णिम इतिहास को देखते हुए कल्याणकारी योजनाएं लागू करने का निर्णय ले, ताकि अधिवक्ता मजबूती से न्यायिक कार्यो में हिस्सा ले सके.
शुक्ल ने लिखा है कि केंद्र और राज्य सरकार चाहे तो दिल्ली सरकार की तर्ज पर स्टेट बार कौंसिल और राज्य सरकार के अधिकारियों की कमिटी बनाकर इसे लागू कर सकती है. इससे भविष्य में कोई दिक्कत नही होंगी. शुक्ल ने कहा है कि जल्द ही वे दिल्ली जाकर प्रसाद से मिलकर भी इन बातों को रखेंगे.